Posted on 21 Sep, 2016 3:43 pm

 

सभी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन कार्यक्रम 

भोपाल : बुधवार, सितम्बर 21, 2016, 14:24 IST
 

शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये प्रदेश के विद्यालयों में वर्ष 2016-17 से सरकारी एवं निजी हाई स्कूल एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की कक्षा 9वीं में और शिक्षण सत्र 2017-18 में कक्षा 10वीं में 'बेस्ट ऑफ फाइव' पद्धति लागू किये जाने का निर्णय लिया गया है। इस पद्धति में 20 प्रतिशत अंक दिये जायेंगे। इसके साथ वर्ष 2017-18 में कक्षा-9 तथा वर्ष 2018-19 में कक्षा-10 में विद्यार्थियों को सामान्य गणित एवं उच्च गणित विषय पढ़ने का विकल्प दिया जायेगा।

इस व्यवस्था से जो विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिये इंजीनियरिंग, मेडिकल एवं अन्य क्षेत्रों में अध्ययन करना चाहते हैं, वे उच्च गणित लें तथा वाणिज्यिक, मानविकी आदि क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले इच्छुक विद्यार्थी कक्षा-9 और 10 में सामान्य गणित का अध्ययन कर सकते हैं। विद्यार्थियों में पढ़ाई का तनाव कम करने के लिये अन्य राज्यों एवं केन्द्रीय बोर्ड द्वारा ली जा रही परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है। इस पद्धति में कक्षा 9वीं में लोक शिक्षण संचालनालय एवं कक्षा-10 में माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा आयोजित परीक्षा में जिन 6 में से 5 विषय में विद्यार्थी द्वारा अधिकतम अंक अर्जित किये गये हैं, उन्हीं विषय के अंक को परीक्षा परिणाम की गणना के लिये लिया जायेगा।

प्रदेश के शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में प्रत्येक शनिवार को पहले 3 कालखण्ड में सतत और व्यापक मूल्यांकन के लिये गतिविधि संचालित की जायेगी। यह मूल्यांकन तीन क्षेत्र में किया जायेगा, जिसमें शैक्षिक क्षेत्र में 80 प्रतिशत वेटेज तथा सह-शैक्षिक क्षेत्र और सह-पाठ्यक्रम कार्यकलापों में 20 प्रतिशत का वेटेज रहेगा। विद्यालय में होने वाली त्रैमासिक परीक्षा में 10 प्रतिशत, अर्द्धवार्षिक परीक्षा में 10 प्रतिशत, वार्षिक परीक्षा में 60 प्रतिशत और सह-शैक्षिक क्षेत्र एवं सह-पाठ्यक्रम कार्यकलाप में 20 प्रतिशत अधिभार दिया जाकर वार्षिक परीक्षाफल दिया जायेगा। इस मूल्यांकन पद्धति से विद्यार्थियों में विद्यालय में नियमित उपस्थित रहने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। नियमित अंतराल पर परीक्षाओं में शामिल होने पर वह स्व-मूल्यांकन कर सकेगा। इस व्यवस्था से न केवल शैक्षिक क्षेत्रों में, अपितु सह-शैक्षिक क्षेत्र जैसे- कला, संगीत, खेल एवं अन्य सामाजिक गतिविधियों में भी उसकी उपलब्धि का मूल्यांकन किया जा सकेगा।

यह मूल्यांकन प्रक्रिया लगभग एक दशक से सीबीएसई स्कूलों में लागू है। इससे मात्र परीक्षा परिणाम में असफल होने अथवा कम अंक प्राप्त होने से विद्यार्थियों में होने वाली निराशा और आत्महत्या जैसी प्रवृत्तिय पर विराम लग सकेगा।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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