Posted on 24 Jul, 2018 12:39 pm

 

राज्य शासन द्वारा कुपोषण, हृदय छेद, मूक-बधिर, कटे-फटे होंठ आदि जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों को स्वस्थ करने के लिये संचालित योजनाओं से प्रदेश के लाखों गरीब बच्चों को लाभ मिल चुका है। यह क्रम अनवरत जारी है।

दमोह जिले के ग्राम भीमपुरा की आदिवासी बालिकाएँ भारती और दीक्षा दिन पर दिन स्वस्थ होती जा रही हैं। पोषण आहार ठीक से न मिलने के कारण ये बीमार और कम वजन की थीं। आँगनबाड़ी कार्यकर्ता ने इनके माता-पिता को राजी कर पोषण पुनर्वास केन्द्र दमोह में इन्हें 6 जुलाई को भर्ती करवाया। केन्द्र में दोनों के वजन में काफी सुधार हुआ है और वे काफी हद तक स्वस्थ हो गई हैं। दोनों की माँ सरकार को धन्यवाद देते हुए कहती हैं कि अब हमें समझ आ गया है कि बच्चों का पालन-पोषण कैसे करना चाहिये। दमोह जिला चिकित्सालय में संचालित पुनर्वास केन्द्र में फिलहाल 18 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 5 को छुट्टी मिल गई है।

धार जिले के ग्राम मिनाखेड़ी के विशाल और आयुष्मान की माँ इन दिनों खुशी से सराबोर है। जन्मजात बोलने-सुनने में असमर्थ ये दोनों बेटे अब एक आवाज में ही दौड़ कर आज जाते हैं। आरबीएसके की टीम ने इनके गाँव पहुँचकर इंदौर में इनकी कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी में मदद कराई। अब दोनों बच्चे स्वस्थ हैं और सुनने-बोलने लगे हैं।

धार जिले के बागड़िया गांव की रीतिका प्रायमरी स्कूल में पढ़ती थी। एक दिन बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिये आरबीएसके की टीम जब उसके स्कूल पहुँची, तो उन्हें परीक्षण में रीतिका स्वस्थ नहीं लगी। रीतिका को इंदौर रिफर किया गया। जहाँ पता लगा की उसके दिल में छेद है। माता-पिता कहते हैं कि रीतिका अक्सर बीमार हो जाती थी, पर हम कभी सोच भी नहीं सकते थे कि वह इतनी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। आरबीएसके की टीम के एहसानमंद हैं जिन्होंने बीमारी की पहचान के साथ रीतिका का इतना महंगा नि:शुल्क ऑपरेशन कराने में भी मदद की।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश