Posted on 12 Sep, 2017 5:11 pm

 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बहते पानी को रोकने के लिये 15 सितम्बर से अभियान चलाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने अवर्षा की स्थिति में किसानों की आय घटे नहीं, इसके लिये कार्य-योजना बनाने स्वच्छता पखवाड़ा मनाने, और अवर्षा की स्थिति अनुसार रबी फसल की तैयारियां करवाने के लिये कहा है। प्रभारी मंत्रियों से कहा है कि 15 से 20 सितम्बर के मध्य प्रभार वाले जिले में जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सिंचाई के लिये जल की उपलब्धता का आकलन करें। उपलब्ध जल के आधार पर सिंचाई की आकस्मिक कार्य योजना बनवाएं तथा किसानों को उससे अवगत कराने के प्रभावी प्रबंध करें।

श्री चौहान आज मंत्रालय में मंत्रिपरिषद बैठक उपरांत मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ अल्पवर्षा की स्थिति से निपटने की आकस्मिक कार्य योजना की समीक्षा कर रहे थे। कृषि, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पशुपालन सहकारिता और नगरीय प्रशासन विभागों द्वारा अल्पवर्षा के दृष्टिगत तैयारियों की कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण दिया। बताया गया है कि मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल के सभी सदस्य पानी रोकने के लिये जनजागृति के प्रयासों में सक्रिय भागीदारी करेंगे। बोरी बंधान बनावाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिले की अल्पवर्षा की आकस्मिक योजना की जानकारी किसानों तक प्रभावी ढंग से पहुँचे। ग्राम सभाओं का आयोजन करवाया जाये। किसानों को सिंचाई के लिये जल की स्थिति, अल्प-अर्ध सिंचित फसलों और उनके बीजों की उपलब्धता की जानकारियां पर्याप्त समय रहते दी जायें। कृषि, राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त रूप से युद्धस्तर पर किसानों को स्थिति से निपटने के प्रयासों के प्रति जागरूक करें। किसान सम्मेलनों, जल उपभोक्ता संस्थाओं विभिन्न मंचों आदि और जनसंचार के सभी माध्यमों का उपयोग कर समाज को अवर्षा की स्थिति से निपटने के लिये तैयार करें। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों की आय घटे नहीं इसके लिए टॉस्क तय करें, जनता को जोड़ें और सर्वश्रेष्ठ के लिए संकल्प लेकर नया कीर्तिमान स्थापित करें।

मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से कहा कि जल स्त्रोतों में उपलब्ध जल की स्थिति से किसानों को पहले से अवगत कराएँ। रबी फसल की बोनी और खरीफ की अवर्षा से प्रभावित फसलों के लिये जल उपलब्धता का सर्वश्रेष्ठ नियोजित उपयोग हो। लक्ष्य स्पष्ट है किसान की फसल जितनी बेहतर करवा सकते है, करवाई जाये। रबी की तैयारियों, पेयजल और स्वच्छता के संबंध में जनजाग्रति के लिये हर पंचायत में रथ भिजवाएं। धान की खड़ी फसल को बचाने की सिंचाई परियोजनावार कार्य नीति बनायें। सिंचाई के लिये जल उपलब्धता का आंकलन व्यवहारिक आधार पर करें ताकि क्षेत्र के सभी खेतों को समानरूप से सिंचाई जल मिल सके। बहते जल को रोकने के प्रयासों की प्रभारी मंत्री द्वारा मॉनीटरिंग भी की जायें।

मुख्यमंत्री ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को निर्देशित किया कि जुलाई 2018 तक की कार्य योजना का प्रारूप पंचायत एवं ग्रामीण विकास के साथ समन्वय कर आगामी मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्तुत करें। प्रारूप में संचालन और समन्वय संबंधी बाधाओं को दूर करने और प्रक्रियाओं के सरलीकरण का प्रस्ताव दें। बंद नल जल योजनाओं को पुन: चालू करने के लिये आवश्यक उपायों और संधारण संबंधी संसाधनों की उपलब्धता के प्रस्ताव प्रस्तुत करें। उन्होंने हैंडपंप खनन के लक्ष्यों को बढ़ाने और उनमें छोटी मोटरें डलवाने के लिये आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने सहकारिता, पशुपालन और नगरीय विकास की कार्य योजनाओं की समीक्षा की। नगरीय विकास के अधिकारियों को निर्देशित किया कि पेयजल का अभाव नहीं हो यह सुनिश्चित करें। पशुपालन विभाग को धान, मक्का और सोयाबीन फसलों के भूसे को बचाये रखने का जनजागृति अभियान चलाने के लिये कहा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 15 सितम्बर से दो अक्टूबर के मध्य मनाए जाने वाले स्वच्छता पखवाड़े की भी समीक्षा की। उन्होंने अभियान में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा करते हुये श्रमदान के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिये कहा उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि स्वच्छता पुरस्कारों में 80 प्रतिशत पुरस्कार मध्यप्रदेश को मिले है। यह स्थिति बदलें नहीं इसे और बेहतर करने के लिये समग्र कार्ययोजना तैयार करें जिसमें राज्य, जिला तथा ग्रामस्तर तक किये जाने वाले कार्यक्रमों की पूरी रुपरेखा हो। जिलास्तर पर 17 सितम्बर को सफाई और श्रमदान का अभियान चलाया जाये। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों और अधिकारियों को अवर्षा की विकट स्थिति का सामना सफलतापूर्वक करने और उस पर विजय प्राप्त करने के लिये संकल्पित करवाया।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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