Posted on 13 Oct, 2017 12:57 pm

भोपाल : शुक्रवार, अक्टूबर 13, 2017
 

नरसिंहपुर जिले के चीचली विकासखण्ड के ग्राम बाम्हनबाड़ा की प्रभाबाई को स्व-सहायता समूह से मिली आर्थिक मदद से अब प्रति माह औसतन 11 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। यह संभव हुआ है मध्यप्रदेश दीनदयाल अंत्योदय योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूह के माध्यम से।

ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के स्व-सहायता समूह बनाकर उन्हें रोजगार से जोड़ने का काम कर रहा है। समूह से जुड़कर अनेक महिलाएँ आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हुई हैं।

प्रभाबाई के घर की माली हालत ठीक नहीं रहा करती थी। जैसे-तैसे उनका परिवार आर्थिक तंगी का सामना करते हुए अपना जीवन-निर्वाह कर रहा था। ग्रामीण आजीविका मिशन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें पूजा स्व-सहायता समूह से जुड़ने की सलाह दी। प्रारंभ के वर्ष में उन्हें 10 हजार रुपये की समुदाय निवेश राशि और 1500 रुपये का रिवाल्विंग फण्ड मिला। इसके बाद उन्हें प्रथम बैंक लिंकेज में 36 हजार रुपये और द्वितीय लिंकेज में 50 हजार रुपये की धन राशि प्राप्त हुई। प्रभाबाई फरवरी-2012 से स्व-सहायता समूह से जुड़ी है।

आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हुई प्रभाबाई बताती है कि उसे अब तक 3 लाख 45 हजार रुपये की आमदनी हो चुकी है। आटा चक्की के माध्यम से उनके परिवार के जीवन-स्तर में बदलाव आया है। अब वो घर की चाररदीवारी से बाहर बाजार में कामकाज करना सीख गई हैं और उसमें आत्म-विश्वास भी बढ़ा है। अब प्रभाबाई अपने गाँव के साथ-साथ अन्य गाँव की ग्रामीण महिलाओं को स्व-सहायता समूह के महत्व के बारे में बताती है। प्रभाबाई से प्रेरणा लेकर गाँव की अन्य महिलाओं ने भी स्व-सहायता समूह की मदद से पशु-पालन, मुर्गी-पालन और अन्य छोटे व्यवसाय से अपने को जोड़ा है।

ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूह में बहुत ताकत होती है। संगठित होकर महिलाएँ खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बना सकती हैं।

सफलता की कहानी (नरसिंहपुर)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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