Posted on 16 Mar, 2018 3:43 pm

तीस वर्षो से उज्जैन जिले में बड़नगर के ग्राम रूणिजा में झोपड़ी बनाकर लोहारी का काम कर रहे सुवाबाई और बद्रीलाल का परिवार अब पक्के मकान में रहने लगा है। यह पक्का मकान अब इनका है। प्रधानमंत्री आवास योजना में इन्हें यह मकान दिया गया है। योजना के अंतर्गत सामाजिक आर्थिक सर्वे सूची में नाम जुड़ने से सुवाबाई और बद्रीलाल के परिवार को प्रधानमंत्री आवास के लिये पात्र पाये जाने पर यह पक्का मकान मिला है। यह मकान एक लाख 38 हजार रूपये की लागत से बना है।

सुवाबाई का परिवार समाज की परम्परा अनुसार घूमते-फिरते 30 साल पहले ग्राम रूणिजा पहुंचा था। यहां का वातावरण और लोग अच्छे लगे, लोहारी का काम अच्छा चलने लगा, तो यहीं बस गये। झोपड़ी उनका स्थायी घर बन गया था क्योंकि पक्का मकान बनाने के लिये जमीन और पैसा नहीं था।

गोड़ोलिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बद्रीलाल पिता नाथूजी कहते हैं कि पक्की छत मिलना उनके लिये सपना सच होने के समान था। पहले झोपड़ी पर लगी टीन की छत के कारण बारिश में पानी की टपकती बूंदों और गर्मी में धूप की तपन हमेशा परेशान करती थी। अब पक्का मकान हो जाने से बारिश में भी आनन्द से समय व्यतीत होता है। बद्रीलाल ने मकान की छत पर अपने पैसे से एक अतिरिक्त कमरा भी बना लिया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना ने उज्जैन जिले में हितग्राहियों की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं। मकान में जितना हिस्सा सरकार बनाकर दे रही है, उतना ही हिस्सा हितग्राही अपनी ओर से पैसा लगाकर खुद बनवा रहे हैं। यह एक अकेली ऐसी योजना है जिसमें केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों मदद करते है। ग्राम रूणिजा में बद्रीलाल और नाथूलाल के साथ ही गोड़ोलिया समुदाय के दो और लोगों को भी प्रधानमंत्री आवास दिये गये हैं।

नाथूलाल ने जब सड़क किनारे अपनी झोपड़ी बनाई थी, तब वहां कुछ नहीं था। सरकार ने भूमि का पट्टा भी दे ही दिया है। अब उनका पक्का घर मेन रोड पर है। अब उनके मकान की कीमत लागत से कई गुना बढ़ गई है। इतने मौके की जमीन पर प्रधानमंत्री आवास कम ही दिखाई देते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना की बदौलत ही आज यहां घुमक्कड़ समुदाय के लोग भी अपना स्थाई आवास बनाकर शान्तिपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

सक्सेस स्टोरी (उज्जैन)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

Recent