Posted on 12 Sep, 2017 4:36 pm

 

राज्य एड्स नियंत्रण समिति के प्रयासों से प्रदेश में एचआईवी/एड्स प्रकरणों में उल्लेखनीय कमी आई है। वर्ष 2005 में एड्स के 11.45 प्रतिशत प्रकरण के मुकाबले वर्ष 2017 (जुलाई) में यह प्रतिशत घटकर मात्र 0.43 रह गया है, जो देश के औसत से भी कम है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री रूस्तम सिंह ने यह बात आज एड्स नियंत्रण समिति द्वारा आयोजित अभियान 'ज्वाइन हैंड्स टू स्टॉप एड्स' मानव श्रंखला का हरी झंडी दिखा कर शुभारंभ करते हुए कही। स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. पल्लवी जैन गोविल, मिशन संचालक राज्य एड्स नियंत्रण समिति श्री उमेश कुमार, संचालक डॉ. के. के. ठस्सू और ब्रॉन्ड एम्बेस्डर श्री राजीव वर्मा भी मौजूद थे।

स्वास्थ्य मंत्री ने श्रंखला में भाग ले रहे छात्र-छात्राओं से कहा कि वे घर, परिवार और समाज में एचआईवी/एड्स के बारे में फैली हुई भ्राँति को दूर करने में मदद करें। यह छूत की बीमारी नहीं है। मरीज में गलत खून चढ़ने, प्रदूषित इंजेक्शन के इस्तेमाल और एड्स ग्रसित व्यक्ति से संबंध बनाने से ही फैलती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के चिकित्सक खून चढ़ाने और इंजेक्शन लगाने में पूरी सावधानी बरत रहे हैं। इससे भी एड्स के मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है।

श्री सिंह ने हाल ही में टीकमगढ़ अस्पताल में महिला के साथ हुई घटना पर क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि संबंधित नर्सों को निलम्बित कर चिकित्सक को शो-काज नोटिस दिया गया है। उन्होंने कहा कि शासन की कोशिश है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

स्वास्थ्य मंत्री ने एक बार फिर लोगों से स्वाइन फ्लू के प्रति सर्तकता बरतने की अपील की। श्री सिंह ने कहा प्रदेश के अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के इलाज से संबंधित उपकरणों और दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था है। राज्य- संभाग स्तर पर निरंतर दैनिक समीक्षा की जा रही है। स्वाइन फ्लू से बचाव ही उपचार है। अगर ऐहतियात बरता गया तो स्वाइन फ्लू जानलेवा नहीं है। प्रदेश में सैकड़ों मरीज ठीक हुए हैं। लेकिन यदि मरीज स्वाइन फ्लू के पूरी चपेट में आ जाने के बाद काफी विलम्ब से डाक्टर के पास पहुँचता है तो वह भी मदद करने में असमर्थ रहता है। स्वाइन फ्लू बिगड़ जाने पर फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है। अत: लोग सर्दी, जुकाम, खाँसी, बुखार, तेज सिरदर्द और साँस लेने में परेशानी हो, तो चिकित्सक से अवश्य सलाह लें। राज्य शासन ने सरकारी अस्पतालों के अलावा प्रदेश के 66 निजी अस्पताल भी स्वाइन फ्लू उपचार के लिये चिन्हित किये हैं।

संचालन संयुक्त संचालक राज्य एड्स नियंत्रण समिति श्रीमती सविता ठाकुर ने किया। मानव श्रंखला में लक्ष्य 2000 के विरुद्ध लगभग 4000 लोगों ने भाग लिया। इनमें एन.एस.एस., एन.सी.सी., विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएँ, किन्नर, जादूगर, स्वैच्छिक संगठन, शासकीय विभाग और आम लोग शामिल हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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