Posted on 09 Jan, 2017 7:48 pm

 

"पोषण के लिये कृषि और पोषण जागरूकता'' पर कार्यशाला में मंत्री श्रीमती चिटनिस 

 

भोपाल : सोमवार, जनवरी 9, 2017, 19:32 IST

 

महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा है कि प्रदेश के हर विकासखण्ड में एक-एक पोषण स्मार्ट गाँव विकसित किया जायेगा। इसमें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पोषक तत्वों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके सही उपयोग के संबंध में जानकारी दी जायेगी। उन्होंने प्रत्येक रसोई-घर में पोषण कैलेण्डर उपलब्ध करवाने और पोषण साक्षरता के लिये अभियान चलाने की जरूरत बतायी। श्रीमती चिटनिस आज समन्वय भवन में आयोजित 'पोषण के लिये कृषि और पोषण जागरूकता'' पर दो-दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। महिला सशक्तिकरण संचालनालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, किसान-कल्याण एवं कृषि विकास, उद्यानिकी विभाग तथा दीनदयाल शोध संस्थान के सहयोग से इस कार्यशाला में सभी विभाग के मैदानी अधिकारी-कर्मचारी ने भाग लिया। उदघाटन सत्र में किसान-कल्याण तथा कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, उद्यानिकी विकास राज्य मंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा भी उपस्थित थे।

श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि यह विरोधाभास है कि मध्यप्रदेश पोषक खाद्यान्न जैसे- चना, सोयाबीन, दलहन आदि के उत्पादन में अग्रणी है, फिर भी महिलाओं और बच्चों के पोषण में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एक समय वह था, जब जनसंख्या के अनुपात में कृषि उत्पादन एक चुनौती थी। प्रदेश ने इस चुनौती पर सफलता प्राप्त की। अब हमें पोषण के क्षेत्र में चुनौती का सामना करना है। आँगनवाड़ी के पोषण आहार के अतिरिक्त कृषि, उद्यानिकी और पशुपालन विभाग के साथ मिलकर समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य सामग्रियों जैसे बाजरा, जौ, कोंदो-कुटकी, मशरूम, शहद, फल, सब्जी आदि के सही उपयोग की जानकारी के विस्तार के लिये प्रयास करना होंगे।

किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों का ग्राम-स्तर पर निरंतर सम्पर्क और पोषण समृद्ध गुणवत्तायुक्त भोजन के संबंध में निरंतर जानकारी उपलब्ध करवाना पोषण की स्थिति को सुधारने में सहायक होगा। श्री बिसेन ने 'नमामि देवी नर्मदे'' यात्रा के जरिये नर्मदा नदी के दोनों ओर फलदार वृक्ष लगाने के अभियान को पोषण की दृष्टि से उपयुक्त बताते हुए वन ड्रॉप मोर क्रॉप के लक्ष्य के अनुरूप नदी के दोनों ओर ड्रिप इरीगेशन पद्धति के विस्तार की जरूरत बतायी।

कार्यशाला में स्थानीय-स्तर पर उपलब्ध भोज्य पदार्थों के प्र-संस्करण, सामुदायिक किचन गार्डन विकसित करने, बच्चों, किशोरियों-महिलाओं में कुपोषण निवारण रणनीति, उन्नत कृषि तकनीक द्वारा पोषण और आर्थिक सशक्तिकरण, आहार में सोयाबीन की उपयोगिता पर वैज्ञानिकों तथा विषय-विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतिकरण दिये गये। विभिन्न जिलों से आये किसान विकास केन्द्रों, तेजस्विनी महिला संघों तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा देशज पोषक खाद्य पदार्थों के स्टॉल लगाये गये। कार्यशाला में प्रदेश को कृषि और जलवायु के आधार पर 8 भाग में विभाजित करते हुए क्षेत्रों के लिये पोषण सुरक्षित रणनीति विकसित करने के उद्देश्य से 8 समूह का गठन किया गया। इन समूहों में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन विभाग के अधिकारी, खाद्य वैज्ञानिक, पोषण विशेषज्ञ और महिला-बाल विकास विभाग के अधिकारी शामिल किये गये।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश