Posted on 31 May, 2018 5:39 pm

 

राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रदेश के पशु, पक्षी, मछली, वनस्पति और अन्न की परम्परागत प्रजातियों को संरक्षित करने के साथ जीवन मूल्यों को सींचने वाली लोकोक्तियों को भी संरक्षित किया जा रहा हैं। बोर्ड ने 'सयानन की थाती......' पुस्तक में बुन्देलखण्ड अंचल के नक्षत्र, मौसम, वर्षा, अवर्षा, खेती-किसानी, पशुओं की पहचान, जीव-जन्तुओं का स्वभाव और व्यवहार आदि की सहज अभिव्यक्ति करने वाली लोकोक्तियों को सहेजा है।

जेठ माह से संबंधित लोकोक्तियाँ

· जेठ मास जो तपै निरासा।तब जानै बरखा कै आसा।

- जब जेठ माह में खूब गर्मी पड़े तब समझ लेना चाहिए कि वर्षा ऋतु में अच्छी वर्षा होगी।

· जेठ माह जो बरखी पानी।तपी न धरती घटी किसानी॥

-यदि जेठ के महीने में पानी बरसता है तो जमीन में तपन नहीं होती फलस्वरूप खरीफ की फसल अच्छी नहीं होती।

· उतरत जेठ जो बोले दादुर, कहै घाघ जल आबै आतुर॥

-यदि जेठ माह में अंतिम सप्ताह में मेंढक बोलने लगे तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा ऋतु शीघ्र ही आने वाली है।

· जेठ जरै माघ ठरै, गुड़ के डरी तबै मुंह परै।

-यदि जेठ माह में तेज धूप और माह में खूब ठंडी पड़ेगी तभी गन्ने की फसल अच्छी होगी और खूब गुड़ खाने को मिलेगा।

· जब जेठ चले पुरबाई, तब सामन धूर उड़ाई॥

- यदि जेठ के महिने में पुरवाई हवा चल रही हो तो समझ लेना चाहिए कि आगामी सावन के महीने में वर्षा नहीं होगी।

· चइतै गुड़ बइसाख तेल। जेठ क पंथ असाढ़ क बेल॥ सामन साग न भादों दही। कुमार करडाला न कातिक मही॥ अगहन जीरा पूषै घना। माघ न मिसरी फागुन चना॥ जे कोई इनकर सेवन करिहैं। मरिहैं न, त बेराब जरूरे परिहैं॥

-चैत में गुड़, बैसाख में तेल नहीं खाना चाहिए। जेठ के महीने में यात्रा करना नुकसानदेह है। इसी तरह अषाढ़ में बेल सावन मास में पत्ती वाली तरकारी, भादो माह में दही, क्वार में करैला तथा कार्तिक में मट्ठा खाना वर्जित है।

· चइत मास मा नीम कै पत्ती। वइसाखे मा खाय जउ हाथी॥ जेठ मास जो दिन मा सौबे। ओकर जर असाढ़ मां रौबै।। सामन हर्रे भादौं चीक।क्वार मास गुड़भ खया मीत॥ कातिक मूरी अगहन तेल। पूष म करैं दूध से मेल।माघ मास घिउ खिचरी खाय। फागुन उठ के प्रात नहाय॥

- चैत के महीने में नीम की पत्ती, बैसाख में भरपूर खाना लाभ दायक है। इसी तरह जो जेठ के महीने में दिन में सोता है उसे अषाढ़ में बुखार नहीं आता। इसी तरह सावन में हर्र, भादों में चीक, क्वार में गुड़, कार्तिक में मूली और अगहन में तेल खाना अच्छा है तथा पूष में दूध, माघ में घी और खिचड़ी तथा फाल्गुन माह में सुबह उठकर स्नान करना फायदेमन्द है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश