Posted on 29 Aug, 2018 2:53 pm

 

प्रदेश में खेती की आमदनी को दोगुना करने के मकसद से राज्य सरकार द्वारा किसानों को आधुनिक तकनीक के साथ-साथ अन्य संसाधन से भी उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। रतलाम जिले में आदिवासी क्षेत्र के किसान परथे सिंह ने पॉली-हाउस में खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना लिया है। पन्ना जिले के किसान गजराज सिंह ने उद्यानिकी फसलों को अपनाकर आर्थिक मजबूती पाई है।

रतलाम जिले के आदिवासी विकासखण्ड सैलाना के ग्राम लिमड़ीपाड़ा के किसान परथेसिंह लबाना ने राज्य सरकार की योजना में मदद लेकर पॉली-हाउस बनवाया है। उन्होंने 2000 वर्ग मीटर भूमि में यह पॉली-हाउस तैयार किया है। परथेसिंह को पॉली-हाउस बनवाने में करीब 18 लाख रुपये की लागत आयी है। इसके लिये अनुदान के रूप में 8 लाख 77 हजार रुपये की राशि भी मिली है। गर्मी में खीरे की फसल के अच्छे भाव को देखते हुए उन्होंने पॉली-हाउस में खीरे की फसल लगाई। अभी तक उन्हें 4 मीट्रिक टन खीरे का उत्पादन प्राप्त हो चुका है। खीरे की पैदावार को उन्होंने रतलाम और राजस्थान की उदयपुर मण्डियों में बेचा, जहाँ उन्हें प्रति किलो 16 से 25 रुपये तक का रेट मिला है।

किसान परथेसिंह बताते हैं कि परम्परागत खेती से हटकर संरक्षित खेती की जाये, तो मुनाफा अधिक कमाया जा सकता है। उन्होंने अपने पॉली-हाउस में अन्य उद्यानिकी फसल लेने का मन बनाया है। वे अब क्षेत्र के किसानों को पॉली-हाउस बनवाने की समझाइश देते हैं।

पन्ना जिले में विकासखण्ड शाहनगर के ग्राम सुंगरहा के आर्थिक संकट से जूझ रहे किसान गजराज सिंह अब उद्यानिकी फसलों की बदौलत आर्थिक रूप से सक्षम हो गये हैं। लम्बे समय से परम्परागत खेती करने के कारण उनकी आमदनी सीमित रह गई थी। उन्होंने जब उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से चर्चा की, तो उन्हें उद्यानिकी फसल लेने की समझाइश दी गई। किसान गजराज ने आधा हेक्टेयर कृषि भूमि में उद्यानिकी फसल की खेती शुरू की, तो अच्छा फायदा मिला। इसके बाद उन्होंने एक हेक्टेयर भूमि में उद्यानिकी फसल ली। आज वे अपने खेत में आम, नींबू, कटहल, अमरूद, करौंदा की फसल ले रहे हैं। अब उन्होंने अपने खेत में सरकारी मदद से प्याज भण्डार-गृह का निर्माण भी करवा लिया है। इसके लिये उन्हें 87 हजार 500 रुपये की सब्सिडी मिली है। गजराज अपने खेत में स्प्रिंकलर सिस्टम से सिंचाई कर रहे हैं। आज उनकी पहचान क्षेत्र में प्रगतिशील किसान के रूप में होती है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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