Posted on 28 Dec, 2017 5:06 pm

हरदा जिले के टिमरनी विकास खंड के गांव छिरपुरा के बंसत वर्मा अपने पॉली हाउस में पान की बेमिसाल पैदावर से बहुत खुश हैं। उन्हें पंरपरागत खेती से अलग हटकर किया गया यह प्रयोग अच्छा मुनाफा दे रहा है।

खेती में नए प्रयोग और अच्छा मुनाफा कमाने बंसत ने उद्यानिकी विभाग की योजना के अन्तर्गत पॉली हाउस बनाकर पान की खेती की शुरूआत की। इस खेती में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि एक बार पान की बेल लगाने के बाद सालों तक इससे पत्ते ले सकते हैं। बार-बार बीज (बेल) लगाने की आवश्यकता नहीं होती। पंरपरागत खेती से हटकर यह प्रयोग हरदा जिले में पहली बार हुआ है कि जब किसी किसान ने पॉली हाउस बनाकर पान की खेती शुरू की है।

बंसत वर्मा ने 9.37 लाख रुपये से अपना पाली हाउस बनवाया और वहाँ कोलकता की सुप्रसिद्ध सोफिया पान की प्रजाति को पहली बार लगाया। यह संरक्षित खेती है। पॉली हाउस बनाने से पान की फसल तेज गर्मी, पाले और बरसात की वहज से नष्ट नहीं होती। एक बार रोपाई करने के बाद 20 साल तक रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती। बसंत वर्मा ने एक हजार वर्ग मीटर के पॉली हाउस में कोलकाता से पान की 10 हजार बीज (बेल) लाकर लगाई। इससे एक साल में चार लाख पान के पत्तों का उत्पादन हुआ। बंसत ने पूर्ण जैविक विधि से पान के पत्ते पैदा किये। इसमें जीवामृत और सरसों की खली, दूध, मठा, नीम तेल का उपयोग किया। इससे लागत में भी भारी कमी आई। सिंचाई के लिए ड्रिप एण्ड फागर लगवाए। इस पान का पत्ता एक रूपये से दो रूपए तक मूल्य में भोपाल, इंदौर, इटारसी, और खण्डवा में बिकता है।

बंसत वर्मा की सफलता से प्रभावित होकर इंदौर और भोपाल में भी किसानों ने चार एकड़ के पॉली हाउस बनवाकर इस पान की प्रजति की पैदावर लेना शुरू कर दिया है।

सफलता की कहानी (हरदा)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश