पूर्वोत्तर परिषद पुन:स्थापित होगी: डॉ. जितेन्द्र सिंह
Posted on 06 Aug, 2016 2:47 pm
केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र में उभरते नये मुद्दों पर ध्यान देने के लिए पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) को पुन: स्थापित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
आज यहां पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) की एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 27 मई, 2016 को शिलॉंग में पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की बैठक के समापन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भाषण का स्मरण किया, जिसमें उन्होंने एनईसी को पुन: स्थापित करने तथा उन्नयन करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 40 वर्षों के बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री ने शिलॉंग स्थित इसके मुख्यालय में आयोजित एनईसी की किसी बैठक में भाग लिया था। यह इस क्षेत्र के लिए श्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता, चिंता एवं विजन को परिलक्षित करता है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने एनईसी के प्रारंभिक वर्षों, जब 1970 के दशक के उत्तरार्द्ध में इसका गठन किया गया था, का जिक्र करते हुए कहा कि तब से काफी कुछ बदल गया है और न केवल एनईसी से अपेक्षा के स्तर में बढ़ोतरी हुई है बल्कि परिषद द्वारा शुरू किए गए कार्यों का दायरा भी लगातार बढ़ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान 2004 में डोनर के एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया, लेकिन यह भी महसूस किया गया कि एनईसी को भी अपनी अलग पहचान बनाए रखनी चाहिए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि बहुत जल्द डोनर मंत्रालय और एनईसी के अधिकारी एनईसी के संभावित पुन: स्थापन एवं उन्नयन के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए साथ मिलकर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में क्षेत्र में कई नए संस्थानों का गठन किया गया है, जिसमें शिक्षा क्षेत्र में आईआईएम एवं आईआईटी, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुपर स्पेशियलिटि अस्पताल एवं पूर्वोत्तर स्पेस अप्लीकेशन सेंटर (एनईएसएसी) जैसे विशिष्ट संस्थान शामिल है। उन्होंने कहा कि शिलॉग स्थित एनईसी मुख्यालय को पूरे क्षेत्र के लिए ‘सेंट्रल रिर्सोस पुल’ के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे कि एक कॉमन मॉडल प्वाइंट से सभी विविध संस्थानों, संगठनों एवं प्रतिष्ठानों को प्रत्येक क्षेत्र में त्वरित प्रगति के साथ बेहतर समन्वय लाने के लिए जोड़ा जा सके।
बैठक के दौरान डॉ. जितेन्द्र सिंह ने दिल्ली में द्वारका एवं रोहिणी के दो महत्वपूर्ण स्थानों पर एनईसी द्वारा अधिग्रहित भूमि के बारे में भी नवीनतम जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि इस भूमि का उपयोग पूर्वोत्तर के छात्रों के लिए छात्रावास बनाने में तथा इसके साथ-साथ एक अत्याधुनिक ‘पूर्वोत्तर केंद्र’ बनाने में भी किया जाएगा। इस केंद्र में एक सांस्कृतिक केंद्र तथा सभागार भी होगा जिसके लिए दिल्ली में रह रहे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग लम्बे समय से मांग रहे हैं। इस बैठक में डोनर के सचिव श्री नवीन वर्मा, एनईसी के सचिव श्री राममुईवा एवं डोनर तथा एनईसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
Courtesy – Press Information Bureau, Government of India