Posted on 13 Aug, 2018 4:21 pm

 

सतना जिले में जंगल की तराई में बसा गाँव देवलहा आदिवासी बाहुल्य गांव है। यहाँ के आदिवासी परिवार मजदूरी करके अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं। कुछ एक परिवारों के पास थोड़ी बहुत खेती की जमीन है लेकिन उससे उनके परिवार का अच्छी तरह से जीवन निर्वाह नहीं हो पाता। इन परिवारों की 15 आदिवासी महिलाओं ने पशुपालन विभाग की मदद से कड़कनाथ पालन व्यवसाय शुरू किया है। आज उनका व्यवसाय गाँव की अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत बन गया है।

गाँव की 15 आदिवासी महिलाएँ अपने परिवार की आमदनी में सहयोग करना चाहती थी। इसकी चर्चा उन्होंने पशुपालन विभाग के अधिकारियों से की। विभाग के अधिकारियों ने उन्हें मुर्गे की उन्नत नस्ल कड़कनाथ पालन की समझाइश दी। इसके लिये उन्हें प्रशिक्षण भी दिलवाया गया। प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं ने मुर्गी पालन को फार्म का रूप दे दिया। आज उनके फार्म में 600 कड़कनाथ नस्ल के पक्षी चहचहा रहे हैं। उनके यहाँ के कड़कनाथ की माँग जिले भर में बन गई है।

कड़कनाथ पालन से जुड़ी राजनबाई मवासी बताती है कि कड़कनाथ हम सब महिलाओं के लिये वरदान बनकर आये हैं। इनकी वजह से उनके परिवार की माली हालत में लगातार सुधार आ रहा हैं। पशुपालन विभाग के उप संचालक डॉ राजेश मिश्रा बताते हैं कि जिले की अन्य महिलाओं को भी कड़कनाथ पालन के संबंध में समूह बनाकर प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था विभाग द्वारा की जा रही है। आदिवासी गाँव देवलहा ग्राम की इन महिलाओं को व्यवसाय करने के लिये राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई गई है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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