Posted on 30 Jul, 2018 7:13 pm

 

देवास जिले के भूमिहीन कृषि श्रमिक दिव्यांग लाल सिंह का पक्के मकान में रहने का सपना अब पूरा हो गया है। लाल सिंह को जब प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में मालूम चला, तो उसने तत्काल जरूरी दस्तावेजों के साथ आवेदन किया और स्वीकृति मिलते ही मकान बनवाना शुरू किया। कुछ ही समय में उसका आवास बनकर तैयार हुआ। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लाल सिंह ने सौभाग्य योजना में बिजली कनेक्शन और स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण भी करवाया है। इसने अपने आवास पर कबूतर और कुक्कुट-पालन भी प्रारंभ किया है। इससे उसे अच्छी आमदनी होने लगी है।

रायसेन जिले के सिलवानी जनपद के कस्बा बम्होरी निवासी काशीराम दो कमरे के मिट्टी और खपरैल की छत वाले मकान में रहते थे। पति-पत्नी मजदूरी कर अपना भरण-पोषण कर रहे थे। उनके लिये पक्का मकान तो सपना ही था। ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना उनके लिये वरदान बनकर आयी। योजना के जरिये वे आज अपने परिवार सहित सीमेंट-कांक्रीट की छत वाले मकान में रह रहे हैं।

छिंदवाड़ा जिले की नगर पालिका परिषद चौरई के जगदीश नामदेव सिलाई करके बच्चों का पालन-पोषण करते थे। कच्चे मकान में बरसात के समय पानी टपकना आम बात थी। आर्थिक अभाव के कारण पक्की छत सपने जैसी बात थी। प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिलने पर नगर पंचायत परिषद के जरिये जगदीश को ढाई लाख रुपये की राशि मिली। राशि मिलते ही मकान का काम शुरू किया और तीन किश्तें मिलते ही मकान का काम पूर्ण कर पक्के आवास का जगदीश ने लाभ लिया। अब वह अपने परिवार सहित प्रधानमंत्री आवास में आनंद से जीवन-यापन कर रहा है।

खण्डवा जिले के इंदौर नाका क्षेत्र में रहने वाला सेवकराम पंवार पिछली बरसात में कच्चे मकान की छत से टपकती पानी की बूँदों के कारण चैन से सो नहीं सकता था। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सेवकराम को जब ढाई लाख रुपये मिले, तो उसने अपने पैतृक कच्चे मकान को पक्का बनाकर कीचड़, मच्छर-मक्खी और पानी टपकने की परेशानी से निजात पाई। सेवकराम ने पत्नी के साथ खुद मजदूरी कर अपना मकान बनाया । सेवकराम अब सपरिवार चैन की नींद सोता है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश