Posted on 11 Apr, 2018 10:07 pm

 

मध्यप्रदेश के युवक-युवती नौकरी करने की बजाय खुद का व्यवसाय स्थापित करने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। इसका कारण है मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, इस योजना का आकर्षण है शासकीय अनुदान। यह अनुदान योजना में प्रोजेक्ट राशि स्वीकृत होते ही आसानी से मिल रहा है। मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना से युवा वर्ग में चुनौतियों का सामना करने की क्षमता बढ़ी है।

ब्रांड है रेवा श्री हैण्डलूम शॉप : होशंगाबाद के युवा उद्यमी अमित नामदेव उच्च शिक्षित हैं। इन्होंने शासकीय नौकरी की बजाय खुद का व्यवसाय चुना। आज समाज में इनका नाम है। अमित नामदेव मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 5 लाख रूपए का ऋण लेकर सराफा चौक में रेवाश्री हैण्डलूम के नाम से अपनी शॉप खोली। मात्र एक साल पूर्व स्थापित रेवाश्री हैण्डलूम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। रेवाश्री हैण्डलूम के वस्त्र आज दूर-दूर तक मशहूर है। रेवाश्री में उच्च क्वालिटी के पर्दे, टेबल क्लॉथ, बेड शीट, पिलो कवर, टावेल, दीवान कवर मिलते हैं, जिन्हें वे भिवंडी, इंदौर और अहमदाबाद से मंगाते हैं। अमित नामदेव ने एमबीए तक शिक्षा प्राप्त की है। पूर्व में वे सागर, बीना, सिरोंज, बैतूल, हरदा एवं गंजबासौदा में मार्केंटिंग का कार्य करते थे। उन्हें लाखों रूपए का पैकेज भी मिला, किंतु वे अपने इस जॉब से संतुष्ट नहीं थे। उनके मन में हमेशा से ही व्यवसाय करने की इच्छा थी। अमित ने मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना से प्राप्त ऋण का समुचित उपयोग करते हुए रेवाश्री नाम से हैण्डलूम वस्त्र का व्यवसाय प्रारंभ किया। मार्केटिंग का तजुर्बा काम आया। अमित नामदेव ने महिलाओं के समूह का गठन कर उन्हें काम दे रखा है। समूह की महिलाएं कपड़े का बैग, पर्दे, सोफा कवर आदि सिलती हैं। इससे महिलाओं को भी अतिरिक्त आय होती है। अमित बताते हैं कि वे हर माह बैंक की किश्त नियमित रूप से चुकाते हैं और खुद भी सम्मानजनक आय प्राप्त करते हैं। 

पहली मशरूम उत्पादक महिला : होशंगाबाद जिले की श्रीमती वासू चौधरी ने एम.एस.सी. बायोटेक्निकल विषय से करने के बाद टीशू कल्चर एवं मशरूम प्रोडेक्शन का काम शुरू किया है। उन्होने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में 10 लाख रूपये का ऋण लेकर घर पर ही मशरूम प्रोडेक्शन यूनिट डालकर उत्पादन शुरू किया है।

वासू चौधरी गेहूँ, कल्चर एवं केमिकल को मिलाकर ड्राय मशीन से मशरूम बनाती हैं। आजकल छतरी बाला 'स्ट्रम' मशरूम और मिल्की मशरूम का उत्पादन कर रही हैं। वासू ने बताया कि उन्हें आजीविका मिशन से मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग मिली है। ट्रेनिंग के बाद ही वह मशरूम उत्पादन में पारंगत हुई है। उनके द्वारा उत्पादित मशरूम ड्राय फार्म भोपाल तक जाता है। वासू 45 दिनों में 500 किलो तक मशरूम का उत्पादन कर लेती हैं। मशरूम 700-800 रुपए किलो तक मार्केट में बिकता है। यही नहीं, वासू चौधरी रेवांचल कंपनी एवं महिलाओं के समूह को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग भी देती हैं। वह निमसाडिया, बीसारोडा, जासलपुर, बुधवाड़ा और होशंगाबाद में महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुकी हैं। उनके द्वारा ट्रेंड की गई महिलाएँ आज मशरूम का बढ़िया उत्पादन कर रही हैं। वासू चौधरी पहली ऐसी महिला उद्यमी है जो सफलतापूर्वक मशरूम का उत्पादन कर मशरूम मार्केट में बेंच रही है। वासू चौधरी का कहना है कि उनके पति एवं उनका परिवार इस कार्य में पूरा सहयोग करते हैं।  

 पंचर टायर से आत्म-निर्भर बना कुँवर सिंह : अलिराजपुर जिला मुख्यालय से 12 कि.मी दूर ग्राम चिचलाना निवासी कुँवर सिंह भूरिया ने मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना के माध्यम से 50 हजार रुपये का ऋण लिया था। मात्र 15 दिन टॉयर पंचर रिपेयरिंग की ट्रेनिंग ली और झाबुआ-अलिराजपुर मार्ग पर एक लोहे की गुमटी किराये पर लेकर अपना काम शुरू कर दिया है। अब कुँवर सिंह प्रतिदिन 700-800 रुपये कमाता है साथ ही 2 और युवाओं को भी रोजगार दे रहा है।

 

 

 

 

 

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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