Posted on 06 Sep, 2017 10:51 am

 

मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन की कार्यवाही पर निर्माण विभागों द्वारा अप्रैल-2016 से अभी तक 18 करोड़ 43 लाख रुपये से अधिक की वसूली की गयी। सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य को यह जानकारी आज मुख्य तकनीकी परीक्षक संगठन की समीक्षा के दौरान दी गयी।

बैठक में संगठन को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिये सुझाव दिये गये कि संगठन की अनुशंसा पर दोषी अधिकारियों एवं ठेकेदारों के विरुद्ध नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जाए। शासन को हुई क्षति की राशि संबंधितों से वसूली निश्चित समय-सीमा में की जाए। तीन माह से अधिक अवधि में प्रथम उत्तर प्राप्त नहीं होने की स्थिति में संगठन की अनुशंसा पर अनुशासनात्मक कार्यवाही हो। लंबित निरीक्षण प्रतिवेदनों में संगठन द्वारा चाही गयी जानकारी तीन माह में भी प्राप्त नहीं होने पर उत्तरदायी शासकीय सेवक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। संगठन में प्रतिनियुक्ति पर भरे जाने वाले पदों की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये सभी निर्माण विभागों द्वारा संवर्गीय पदों की स्वीकृति जारी कर भर्ती नियमों में संशोधन किया जाए।

इस अवसर पर बताया गया कि संगठन की वेबसाइट भी प्रारंभ की गयी है। इसके माध्यम से प्रदेश के सभी निर्माण विभाग अपने-अपने विभाग से संबंधित प्रकरणों की अद्यतन स्थिति तत्काल जान सकेंगे। संगठन स्तर पर वर्ष 2017-18 में कुल 40 प्रकरणों के निरीक्षण प्रतिवेदन जारी किये गये और 18 प्रकरण पूर्ण रूप से निराकृत किए गये। संगठन स्तर पर 4 गंभीर प्रकरण जारी कर एक का निराकरण किया गया। शासन स्तर से प्राप्त 13 शिकायतों में से एक की जाँच कर प्रतिवेदन शासन को भेजा गया।

जाँच से संबंधित वांछित अभिलेख संबंधित विभागों से अपेक्षित होने से 12 शिकायतें जाँच के लिए लंबित हैं। वर्तमान में 1748 प्रकरण निराकरण के लिये लंबित हैं।

संगठन के सुदृढ़ीकरण के लिये दिये गये सुझाव पर चर्चा की गयी। इसमें आउट-सोर्सिंग के माध्यम से अमले की पूर्ति करने, गुणवत्ता नियंत्रण के लिये एनएबीएल प्रयोगशाला से सामग्री के परीक्षण की अनुमति और संगठन को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिये सहमति बनी।

वार्षिक प्रतिवेदन का विमोचन

राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने संगठन के 45वें वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-17 का विमोचन किया। इस मौके पर मुख्य तकनीकी परीक्षक श्री आर.के. मेहरा सहित अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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