Posted on 21 Nov, 2016 6:45 pm

भोपाल : सोमवार, नवम्बर 21, 2016, 17:25 IST
 

नीम वृक्षों की बहुलता के कारण 'निमाड़' नाम पाने वाले क्षेत्र का प्राचीन वैभव पुन: लौटेगा। पर्यावरण मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य ने वन विभाग को झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी और खरगोन में 75 प्रतिशत क्षेत्र में देशी नीम और शेष में अन्य प्रजाति का पौध-रोपण कर वीरान हो चले जंगलों को पुन: हरा-भरा बनाने के निर्देश दिये हैं। श्री आर्य ने यह निर्देश आज एप्को परिसर में मध्यप्रदेश क्लीन डेव्हलपमेंट मैकेनिज्म अभिकरण की वार्षिक साधारण सभा की बैठक में दिया। प्रमुख सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा, एप्को के महानिदेशक श्री मलय श्रीवास्तव और कार्यपालन संचालक श्री अनुपम राजन भी बैठक में मौजूद थे।

क्लीन डेव्हलपमेंट मैकेनिज्म अभिकरण का नाम बदलेगा

बैठक में मध्यप्रदेश क्लीन डेव्हलपमेंट अभिकरण (एमपीसीडीए) का नाम बदलकर मध्यप्रदेश जलवायु परिवर्तन अध्ययन केन्द्र करने और एमपीसीडीए का विलय पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) में करने का भी निर्णय लिया गया।

महाप्रबंधक श्री लोकेन्द्र ठक्कर ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर पर्यावरणीय दृष्टि से स्वच्छ विकास प्रक्रियाओं को अपनाते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम कर कार्बन ट्रेडिंग परियोजनाओं के लिये अक्टूबर, 2010 में सीडीए एजेन्सी का गठन किया गया था। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन का अध्ययन करते हुए इन्हें कम करने का प्रयास किया। छात्र-छात्राओं को जागरूक किया जा रहा है कि कैसे हम अपने व्यवहार और जीवन-शैली में परिवर्तन कर ग्रीन-हाउस गैसों के उत्सर्जन कम करने में योगदान दे सकते हैं। विभिन्न शासकीय, अर्धशासकीय निकायों के समन्वित प्रयास से गैस उत्सर्जन कम करने की रणनीति तैयार की जा रही है।

बैठक में वन, उद्यानिकी, ऊर्जा और कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश