Posted on 29 Dec, 2017 3:12 pm

बच्चों की गम्भीर बीमारी और इलाज के महँगे खर्च की चिंता से जूझते आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम वरदान सिद्ध हो रहा है। सिवनी जिले के मंगलीपेठ के दुकानदार के घर 15 फरवरी 2011 को सुंदर सी बेटी का जन्म हुआ। पूरे परिवार की लाड़ली-दुलारी बेटी का घर वालों ने बड़े प्यार से तितिक्षा नाम रखा। एक वर्ष की होने पर भी जब तितिक्षा नाम पुकारने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती थी, तो माता-पिता ने विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक ने उन्हें बताया कि उनकी बच्ची सुनने में सक्षम नहीं है। माता-पिता इलाज के लिए यहाँ-वहाँ भटकते रहे, परन्तु कोई परिणाम नही निकला।

तभी उन्हें वर्ष 2014 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में कॉकलियर इम्पलांट के लिये जिला पुर्नवास केन्द्र में आयोजित शिविर के बारे में पता चला। शिविर में जाँच के दौरान बच्ची की शत-प्रतिशत श्रवण हीनता की जानकारी मिली। तितिक्षा को नि:शुल्क कॉकलियर इम्पलांट के लिए अरबिन्दो मेडिकल कॉलेज इन्दौर भेजा गया, जहाँ अप्रैल 2015 में उसको बाल श्रवण योजना में सफलता पूर्वक नि:शुल्क कॉकलियर इम्पलांट किया गया।

इम्पलांट के पहले और बाद मे जिला विकलांग पुर्नवास केन्द्र मे विशेषज्ञों द्वारा तितिक्षा को आवश्यक स्पीच थैरेपी दी गई। उसे पहले मोटी और पतली आवाजों तथा धीमी और तेज आवाज, उसके बाद विभिन्न प्रकार की आवाजों को सुनना सिखाया गया। कुछ ही समय में तितिक्षा ध्वनि को सुनने और समझने के साथ-साथ परिवार वालों की आवाज को पहचानने लगी। धीरे-धीरे वह शब्द सुनने और बोलने का प्रयास भी करने लगी। जब उसके मुँह से पहली बार मम्मी-पापा, दादा-दादी जैसे शब्द निकले, तो परिवार में त्योहार जैसा माहौल हो गया। अब तितिक्षा नये-नये शब्दों का उच्चारण सीख रही है।

तिक्षिता सामान्य बच्चों की तरह ही पढ़ाई-लिखाई करने लगी है। अभी वह केन्द्रीय विद्यालय डूंडा-सिवनी में पहली कक्षा मे पढ़ रही है।

सफलता की कहानी (सिवनी)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश