नवीन जरूरतों के अनुसार बनाये तकनीकी शिक्षा का पाठ्यक्रम
Posted on 02 Sep, 2016 5:57 pm
तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम में परिवर्तन पर कार्यशाला में राज्य मंत्री श्री जोशी |
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भोपाल : शुक्रवार, सितम्बर 2, 2016, 17:27 IST | |
तकनीकी शिक्षा का पाठ्यक्रम नवीन जरूरतों के अनुसार परिवर्तित करें, अन्यथा हम पिछड़ जायेंगे। तकनीकी शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार), स्कूल एवं श्रम राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी ने यह बात 'तकनीकी शिक्षा पाठ्यक्रम में परिवर्तन'' पर हुई कार्यशाला में कही। कार्यशाला तकनीकी संचालनालय और एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट भोपाल द्वारा करवायी गयी। श्री जोशी ने कहा कि पाठ्यक्रम में जो कमियाँ हैं, पहले उनको दूर करें। प्रदेश की तकनीकी संस्थाओं के विकास और उनमें गुणात्मक सुधार के लिये शासन द्वारा हरसंभव सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि फेकल्टी के प्रशिक्षण की भी योजना बनायी जाये। प्रदेश की तकनीकी संस्थाओं को राष्ट्रीय-स्तर की संस्था बनाने के लिये मिलकर प्रयास करें। श्री जोशी ने नैसकाम द्वारा किये गये सर्वे की पुस्तक का भी विमोचन किया। प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने कहा कि कार्यशाला सार्थक रही। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में मिले सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जायेगा। श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा कि स्किलिंग मध्यप्रदेश और ट्रांसफार्मिंग इण्डिया के लिये सामूहिक प्रयास करने होंगे। जॉब मार्केट के आधार पर बने पाठ्यक्रम राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पियूष त्रिवेदी ने कहा कि जॉब मार्केट के आधार पर पाठ्यक्रम बनाया जाये। उन्होंने कहा कि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने वाला आरजीपीवी पहला विश्वविद्यालय है। प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि फेकल्टी प्रशिक्षण की व्यवस्था विश्वविद्यालय में की जा सकती है। संचालक तकनीकी शिक्षा डॉ. आशीष डोंगरे ने कहा कि पाठ्यक्रम ही शिक्षा के विकास का आधार है। उन्होंने कहा कि फेकल्टी की ट्रेनिंग के लिये टीसीएस और नैसकाम कंपनी के साथ एमओयू किया जायेगा। पाठ्यक्रम परिवर्तन में भी इनका सहयोग लिया जायेगा। नैसकाम की वाइस प्रेसीडेंट डॉ. संध्या चिंतला ने कहा कि ग्लोबल चेंज के साथ चलने के लिये पाठ्यक्रम में परिवर्तन जरूरी है। उन्होंने कहा कि तकनीक का लगातार विस्तार हो रहा है। आउटकम के आधार पर पाठ्यक्रम निर्धारित होना चाहिये। डॉ. चिंतला ने कहा कि आठवीं पास लड़का मोबाइल और लेपटॉप सुधार लेता है, लेकिन बी.ई. इलेक्ट्रानिक्स वाला नहीं। इस पर विचार होना चाहिये। एआईसीटीई के सदस्य सचिव डॉ. ए.पी. मित्तल ने बताया कि कौशल विकास के लिये नई नीति बनायी जा रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का ज्ञान विद्यार्थियों तक पहुँचना चाहिये। एटीपीआई के अध्यक्ष श्री जे.एन. चोकसे ओर सचिव श्री बी.एस. यादव ने निजी संस्थाओं के विकास के लिये सहयोग की जरूरत बतायी। उन्होंने फेकल्टी के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया। इस दौरान विभिन्न तकनीकी संचालकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। |
साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश