Posted on 12 Sep, 2016 6:42 pm

भोपाल : सोमवार, सितम्बर 12, 2016, 18:13 IST
 

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने सिंचाई परियोजनाओं के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ''पर ड्राप मोर क्राप'' सिद्धांत को पूरी तरह अंगीकार कर लिया है। प्राधिकरण की सभी भावी सिंचाई परियोजनाओं की रूपरेखा अब इसी सिद्धांत को लक्षित कर बनाई जा रही है। अब तक जिन परियोजनाओं में माइक्रो इरिगेशन पद्धति लागू की गई है, उनमें जल उपयोग दक्षता में 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढोत्तरी हुई है। नर्मदा घाटी विकास (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री श्री लाल सिंह आर्य द्वारा आज मंत्रालय में ली गई समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गई।

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रजनीश वैश ने बताया कि प्राधिकरण अब भावी सिंचाई परियोजनाएँ 100 प्रतिशत माइक्रो इरिगेशन सिद्धांत पर क्रियान्वित करेगा। प्राधिकरण की पुनासा, खरगोन और ओंकारेश्वर उद्वहन परियोजनाओं में माइक्रो इरिगेशन से सिंचाई दी जा रही है। इन परियोजनाओं में जल उपयोग दक्षता 50 प्रतिशत बढ़ गई है।

राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने बैठक में विभाग के दृष्टि पत्र 2018, संकल्प 2013 तथा मंथन 2013 की अनुशंसाओं के परिपालन की समीक्षा भी की। श्री आर्य ने कहा कि अनुशंसाओं के परिपालन की प्रगति संतोषजनक है, फिर भी शेष अनुशंसाओं पर पूर्ण परिपालन सुनिश्चित कर लिया जाये।

प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने बताया कि मालवा के इन्दौर और उज्जैन जिले के 158 गाँव की 50 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित करने वाली नर्मदा-मालवा-गम्भीर लिंक परियोजना का कार्य जारी है। प्राधिकरण द्वारा अलीराजपुर, बलवाड़ा, छेगाँव माखन, बिस्टान, सिमरोल, अम्बा चंदन तथा हरसूद उदवहन सिंचाई योजनाएँ भी स्वीकृत की जा चुकी हैं। प्राधिकरण की निर्मित तथा निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं से वर्ष 2015-16 में 5 लाख हेक्टेयर रकबा सिंचित किया गया। वर्ष 2019 तक 7 लाख 98 हजार हेक्टेयर लक्ष्य से आगे बढकर प्राधिकरण 11 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई जल पहुँचाने की दिशा में तत्परता से प्रयास कर रहा है। समीक्षा बैठक में प्राधिकरण के इंजीनियर और अधिकारी उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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