Posted on 21 Oct, 2016 7:12 pm

भोपाल : शुक्रवार, अक्टूबर 21, 2016, 17:44 IST
 

राज्यपाल श्री ओम प्रकाश कोहली ने आज यहाँ धर्म-धम्म सम्मेलन के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म के अभाव में राज व्यवस्था अराजक और व्यवस्था शून्य हो जाती है। भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि जब-जब अधर्म बढ़ता है तो धर्म की स्थापना के लिए भगवान जन्म लेते हैं। उन्होंने धर्म की सरल परिभाषा देते हुए कहा कि सदाचार यानि दूसरों के प्रति अच्छा आचरण ही धर्म है। सदाचार पालन करने वाले नास्तिक होकर भी धर्मात्मा की श्रेणी में आते हैं। भोपाल में मध्य प्रदेश विज्ञान एवं तकनीकी परिषद (विज्ञान भवन) के सभागार में संपन्न चतुर्थ अंतराष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन साँची बौद्ध- भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा किया गया था। इस अवसर पर महाबोधि सोसयटी ऑफ श्रीलंका के प्रमुख बेनगला उपतिस्सा नायक थैरो और अमेरिकन सोसायटी ऑफ वैदिक स्टडीज के प्रमुख डेविड फ्रॉले भी उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल श्री कोहली ने साँची विश्वविद्यालय और इंटेक भोपाल चेप्टर के सहयोग से सर जॉन मॉर्शल और अल्फ्रेंड पूचर की पुनर्प्रकाशित पुस्तक “द मॉन्यूमेंट्स ऑफ साँची' का विमोचन किया।

राज्यपाल श्री कोहली ने कहा कि धर्म का मूल उद्देश्य मानव का मंगल है और राज व्यवस्था का उद्देश्य नागरिकों का मंगल है। व्यवस्था धर्म की धुरी पर टिकी हो, तो स्थिर एवं कल्याणकारी होती है। उन्होंने कहा कि विश्व में कल्याणकारी और उत्पीड़नकारी व्यवस्था चल रही है और उत्पीड़न वाली व्यवस्था धर्म आधारित नहीं है।

राज्यपाल श्री कोहली ने कहा कि पूरा तंत्र एक दूसरे के प्रति किए जाने वाले कर्त्तव्यों पर टिका हुआ है और अगर कोई भी कर्त्तव्यच्युत होता है तो पूरी राज व्यवस्था अस्थिर हो जाएगी। राज्यपाल ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए' का जिक्र करते हुए कहा कि दूसरों की पीड़ा समझने वाला ही सच्चे अर्थों में धार्मिक और सदाचारी नागरिक है। राज्यपाल श्री कोहली ने कहा कि राजधर्म और प्रजाधर्म के साथ कर्त्तव्य पालन ही उपयुक्त विकल्प है क्योंकि सत्ता, दंड और कानून की अपनी सीमाएँ हैं। उन्होंने नीति, कर्त्तव्य और सदाचार को धर्म का सार तत्त्व बताया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और महाबोधि सोसायटी ऑफ श्रीलंका के प्रमुख बेनगला उपतिस्सा नायक थैरो ने साँची विश्वविद्यालय की प्रगति पर संतुष्टि जताते हुए धर्म को राजनीति का दिशा निर्देशक सिद्धांत करार दिया। अमेरिकन सोसायटी ऑफ वैदिक स्टडीज़ के प्रमुख डेविड फ्रॉले ने उम्मीद जताई कि सांची विश्वविद्यालय शोध एवं अध्ययन, अध्यापन के क्षेत्र में अलग मुकाम हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया तनाव, ड्रग्स और हिंसा से जूझ रही है ऐसे में कल्याणकारी राज्य के लिए कर्मयोग आधारित शासन व्यवस्था उचित विकल्प हो सकती है। कार्यक्रम में इंटेक भोपाल चेप्टर के स्टेट पेट्रन श्री एम. एम. उपाध्याय भी मौजूद थे। समापन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य प्रो. यज्नेश्वर शास्त्री ने कॉन्फ्रेंस का ब्यौरा पेश किया। कुलसचिव श्री राजेश गुप्ता ने आभार माना।

सम्मेलन में अमेरिका, थाइलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, कोरिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल से दर्शन के करीब 200 विद्वान और चिंतकों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में 6 मुख्य सत्र के साथ 14 तकनीकी सत्र में करीब 150 शोध-पत्र पेश किए गए। समारोह में कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, बौद्ध एवं भारतीय दर्शन के मनीषी, विद्वान एवं दार्शनिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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