Posted on 15 May, 2018 4:16 pm

 

जल संसाधन विभाग के जिले में स्थित जलाशयों व एनीकटों की जलभराव क्षमता कम होने के कारणों को जानने 14 मई से 26 मई तक विभाग के अनुविभागीय अधिकारी, सहायक अभियंता द्वारा सर्वेक्षण किया जावेगा। सिंचाई सुविधा के विस्तार के लिए जिले में जलाशय, व्यपवर्तन योजना एवं एनीकट का निर्माण किया गया है। सर्वे के बाद उन्हें ग्र्रेडिंग दी जाएगी, जिसके बाद उनकी आवश्यकतानुसार मरम्मत भी कराई जाएगी।
जल संसाधन संभाग धमतरी कोड क्रमांक-90 के कार्यपालन अभियंता श्री ए.के. पालड़िया ने बताया कि बताया कि जिले में उनके संभाग के तहत 19 लघु जलाशय, 15 लघु व्यपवर्तन योजना, 13 एनीकट एवं एक उद्वहन सिंचाई योजना निर्मित है। इनमें से 17 जलाशय, 15 व्यपवर्तन, 11 एनीकट योजनाओं के सर्वे के लिए शासन द्वारा प्रस्तावित है। माइनर जलाशय एवं लघु व्यपवर्तन योजनाओं से सिंचाई की सुविधा दी जा रही है। उन्होंने बताया कि लंबे समय से इन योजनाओं में जीर्णोद्धार नहीं कराये जाने से सिंचाई का रकबा घटा है। इस तरह की विसंगतियों को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने टीम बनाने के निर्देश दिए है। इस टीम में 08 उप अभियंता व एक अनुविभागीय अधिकारी को शामिल किया गया है, सर्वेक्षण के जरिए स्थल निरीक्षण कर तथा स्थानीय किसानों से रू-ब-रू होकर यह जानकारी प्राप्त करेंगे कि योजनाओं से सिंचाई सुविधाओं का समुचित लाभ उन्हें मिल रहा है अथवा नहीं। कार्यपालन अभियंता ने बताया कि विभाग के सचिव श्री सोनमणि बोरा के दिशा-निर्देश पर कार्ययोजना तैयार की गई है। कलेक्टर डॉ. सी. आर. प्रसन्ना द्वारा जल संसाधन विभाग की टीम का पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया गया है। सुधार के लिए राशि राज्य शासन से तय की जाएगी। इसके लिए तीन स्तर निर्धारित किया गया है। मुख्य सुधार के लिए राशि शासन से दी जाएगी।
चार ग्रेड में तैयार होगी सर्वे रिपोर्ट:- इस संबंध में बताया गया है कि सर्वेक्षण टीम जलाशय की रिपोर्ट चार ग्रेड में तैयार करेगी। 80 फीसदी से ऊपर सिंचाई सुविधा देने वाले जलाशय को ‘ए‘ ग्रेड की श्रेणी में रखा जाएगा। 80 से 60 फीसदी सुविधा वाले जलाशय ‘बी‘ ग्रेड में होंगें। इसी तरह 40 से 20 प्रतिशत वाले ‘सी‘ व 20 से शून्य फीसदी वाले जलाशय एनीकट ‘‘डी‘‘ ग्रेड में शामिल होंगे। जिले के अधिकांश जलाशय ‘‘बी‘‘ व ‘‘सी‘‘ ग्रेड में है।
मैन्युअल व मोबाइल रिकार्ड
कार्यपालन अभियंता श्री पालड़िया ने बताया कि परियोजना स्थल में टीम उपस्थित होकर तकनीकी खामियों का जायजा लेती है। खराबी का कारण व सुधार की गुंजाइश के आधार पर सर्वेक्षण रिकार्ड न केवल मैन्युअल बल्कि मोबाइल एप में भी अपलोड किया जा रहा है। रिर्पोटिंग के आधार पर जानकारी निर्धारित तिथि में सचिवालय को भेजा जाएगा।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़