Posted on 02 Sep, 2017 6:38 pm

 

मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के सफल पाँच साल पूरे होने पर पूरे प्रदेश में तीर्थ यात्रियों के सम्मेलन आयोजित किये जा रहे हैं। तीन सितम्बर को योजना की पांचवी वर्षगांठ है। सभी संभागायुक्तों को उन तीर्थ यात्रियों के सम्मेलन आयोजित करने के निर्देश दिये गये हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना का लाभ उठाकर एक बार तीर्थ दर्शन किये हैं। जिला स्तरीय सम्मेलन में तीर्थ यात्री अपनी यात्रा के अनुभव सुनाएंगे। वे यह भी बताएंगे कि तीर्थ करने के बाद उनके जीवन में क्या बदलाव आया है। इन सम्मेलनों में वे तीर्थ दर्शन यात्रा को और ज्यादा सुखद बनाने के लिये सुझाव भी देंगे। इन सुझावों से योजना को और ज्यादा प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। सभी जिलों के प्रभारी मंत्री, विधायक, अन्य जन प्रतिनिधि, स्थानीय गणमान्य नागरिक इन सम्मेलनों में उपस्थित रहेंगे।

पाँच लाख बुजुर्गों ने की तीर्थ यात्राएँ

इन पाँच सालों में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पाँच लाख तीन हजार लोगों ने विभिन्न तीर्थों की यात्राएँ की हैं। इस लोकप्रिय योजना से प्रभावित होकर ग्यारह राज्यों की सरकारों ने भी इसे लागू किया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल  में रवीन्द्र भवन प्रांगण में मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना की पाँचवी वर्षगांठ पर राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

तीर्थ दर्शन योजना में अब तक 502 ट्रेनों का संचालन हुआ है। इस साल 51 ट्रेनों में करीब 51 हजार वरिष्ठ तीर्थ-यात्रियों ने इसका लाभ लिया। वर्ष 2017-18 में 125 ट्रेनों के संचालन करने का लक्ष्य है। इसमें सवा लाख बुजुर्गों को तीर्थ-दर्शन करवाया जाएगा। तीर्थ यात्रियों की संख्या के अनुसार ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

नये तीर्थ स्थल

तीर्थ दर्शन यात्रा में लोगों की अपेक्षाओं और अनुरोध पर नये तीर्थ स्थल जोड़े गये हैं। इनमें कामाख्या देवी, गंगा सागर, पटना साहब, गिरनार जी, मदुरै शामिल है। प्रदेश के तीर्थ स्थल उज्जैन, मैहर, श्री रामराजा मंदिर ओरछा, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, महेश्वर शामिल हैं। इसके अलावा रविदास धाम वाराणसी, रामदेवरा रूनिचा राजस्थान को भी जोड़ा गया है।

सुविधाएँ

तीर्थ दर्शन योजना में बुजुर्गों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है। प्रत्येक बोगी में यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं चाय, नाश्ता, भोजन, पानी की मात्रा एवं समय आदि का विवरण लिखा रहता है। यात्रियों को दिये जाने वाले भोजन के मेनू एवं गुणवत्ता में गुणात्मक परिवर्तन किया गया है।

प्रात:काल चाय/कॉफी एवं बिस्किट, नाश्ता – पुरी भाजी/ब्रेड के साथ कटलेट/सांभर के साथ उपमा या इडली या मेंदू बड़ा/ छोलों के साथ भटूरे/चटनी के साथ समोसा या प्याज कचोरी या ब्रेड पकोड़ा या आलू बड़ा या ढ़ोकला/सेव के साथ पोहा, साथ में केला एवं चाय/ कॉफी, दोपहर एवं रात्रि का भोजन – मौसमी सब्जी या पनीर की सब्जी, दाल फ्राय या कढ़ी पकोड़ा, पराठे या पुरी या रोटी, चावल या पुलाव, पापड़, अचार, मीठा, सांयकाल – चाय/कॉफी एवं बिस्किट या नमकीन दी जाती है। इसके अतिरिक्त यात्रियों को रात्रि के समय प्रति यात्री लगभग 150 मि.ली. बादाम मिल्क/केसर मिल्क भी दिया जा रहा है।

ट्रेन के प्रारंभिक स्टेशन पर यात्रियों के लिये स्वल्पाहार (समोसा, कचौरी, जूस) की व्यवस्था प्रारंभ की गई है। इसके साथ ही यात्रियों के लिए फूल माला, तिलक एवं स्वागत बैंड इत्यादि की व्यवस्था भी स्टेशनों पर की जा रही है। यात्रा के दौरान यात्रियों के मनोरंजन के लिए ढ़ोलक, मंजीरा, लूड़ो, साँप सीढ़ी आदि प्रदाय किये जाते हैं।

 राज्य सरकार कंबोडिया के आंकोरवाट मंदिर समूह, श्रीलंका में सीता माता मंदिर, कैलाश मानसरोवर यात्रा और सिंधु दर्शन के लिये प्रदेश के मूलनिवासी नागरिकों को सुविधा दे रही है। इन तीर्थ स्थानों की यात्रा करने पर यात्रा के खर्च का 50 प्रतिशत या अधिकतम 30 हजार रूपये की राशि सरकार वहन करती है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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