डायवर्सन और फ्री होल्ड की जमीन के मामले लंबित न रखे जायें
Posted on 22 Jun, 2016 10:59 am
राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री श्री रामपाल सिंह की अध्यक्षता में राजस्व संबंधी मामलों की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मंत्री श्री सिंह ने कहा कि राजस्व संबंधी मामलों का निराकरण समय-सीमा में किया जाये। प्रदेश के सभी शहर में डायवर्सन और फ्री होल्ड की जमीन के मामले लंबित न रखें। इस संबंध में राजस्व निरीक्षक और एसडीएम पूरी रुचि लेकर कार्य करें। मंत्री श्री सिंह ने इंदौर जिले में डायवर्सन के लंबित मामलों पर नाराजगी व्यक्त की और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि आवेदकों को तहसील/कलेक्टर कार्यालय के बार-बार चक्कर न लगाना पड़ें, इसके लिये भविष्य में आवेदन ऑनलाइन लेने की व्यवस्था की जायेगी। राजस्व विभाग के मैदानी अधिकारी किसानों से सतत सम्पर्क रखें। उन्हें खसरा-खतौनी नक्शे की नकल समय पर मिलना चाहिये। मंत्री श्री सिंह ने शहडोल संभाग में हुए राजस्व संबंधी कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राजे-रजवाड़े की जमीन के संबंध में भी शीघ्र निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि राजस्व संबंधी प्रकरणों को ढूँढकर निराकरण करें। राजस्व वसूली के कार्य को प्राथमिकता से करें, ताकि शासन की आय में बढ़ोत्तरी हो सके। डायवर्सन संबंधी मामलों में निराकरण की प्रतिमाह समीक्षा की जाये। आपत्ति का निराकरण भी शीघ्र हो। अनापत्ति प्रमाण-पत्र समय-सीमा में नहीं दिया तो प्रकरण का निपटारा माना जायेगा। प्रत्येक संभाग में एक राजस्व अधिकारी को समीक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी। राजस्व मंत्री श्री सिंह ने कहा कि शिकायत करने के लिये टोल-फ्री नम्बर रखा जायेगा। प्रत्येक माह के हर तीसरे सोमवार को डायवर्सन और वसूली की समीक्षा बैठक होगी। जिलों में राजस्व विभाग का पूरा अमला सक्रिय होकर कार्य करे। राजस्व विभाग का कार्य प्रदेश के हर नागरिक से जुड़ा हुआ है। अच्छे कार्य की सराहना भी की जायेगी। डायवर्सन संबंधी मामलों के संबंध में मंत्रालय में भी एक अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपकर समीक्षा करवायी जायेगी। मंत्री के जिलों में भ्रमण के दौरान एसएलआर और अन्य अधिकारी उपस्थित होकर अपनी समस्या बतायें। उन्होंने अधिकारियों को वाहन उपलब्ध करवाने के लिये आश्वस्त किया। बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व श्री के.के. सिंह के अलावा अन्य अधिकारी उपस्थित थे |
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साभार जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश