Posted on 20 Jun, 2017 8:17 pm

भोपाल : मंगलवार, जून 20, 2017, 19:28 IST
 

स्व-सहायता समूह सदस्यों को कम लागत में अधिक मुनाफा दिलाने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत प्रशिक्षित 4200 से अधिक स्व-सहायता समूह सदस्यों को उन्नत बीज, कीट उपचार, जैविक खाद उत्पादन एवं उपयोग, फसलों में नवाचार तथा आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रदेश में लगभग 11 लाख 30 हजार से अधिक ग्रामीण निर्धन परिवारों को आजीविका मिशन द्वारा कृषि आधारित गतिविधियों से जोड़ा जा चुका है।

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में समूह सदस्यों द्वारा 5,10,520 वर्मी पिट/नाडेप बनाये गये हैं। एक पिट से 2.5-2.7 टन जैविक खाद निकलती है जो एक एकड़ खेती के लिए पर्याप्त होती है। इस खाद का उपयोग बढने से रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आई है। उन्नत बीज उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत 37 बीज उत्पादन समितियां पंजीकृत करवाई गई हैं जिनके माध्यम से उचित गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन कर स्व-सहायता समूह सदस्यों को उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश में एक लाख से अधिक कृषक प्रमाणित बीज का उपयोग कर रहे हैं।

महिला किसान सशक्तिकरण के लिए 35 हजार 116 महिला किसानों को लाभान्वित किया गया है। चौबीस उत्पादक कंपनियों का गठन किया गया है जिनमें 20 कृषि आधारित, 02 दुग्ध, 02 मुर्गीपालन से संबंधित हैं। पोषण वाटिका में उगाई जाने वाली सब्जियों के बीज अब हॉर्टीकल्चर विभाग द्वारा बांटे जायेंगे। समूह सदस्यों द्वारा जैविक सब्जी का विपणन 297 'आजीविका फ्रेश' दुकानों के माध्यम से किया जा रहा है।

बड़वानी, शहडोल एवं सागर जिले में हल्दी, अलीराजपुर में सफेद मूसली, धार में आलू, बड़वानी में मिर्च, नरसिंहपुर में दलहन, मंडला में धान, गुना में धनिया और श्योपुर में कद्दू के उत्पादन को प्रोत्साहित किया गया है। विदिशा जिले में ड्रिप मल्चिंग को बढ़ाने में सहयोग किया गया है। व्यवसायिक सब्जी आदि सहित अन्य फसलों के उत्पादन में प्रोत्साहन एवं सहयोग के लिए सी.आर.पी. द्वारा प्रतिदिन मानदेय के आधार पर काम किया जा रहा है। मध्यप्रदेश की कृषि सी.आर.पी. द्वारा हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में भी काम किया जा चुका है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश