Posted on 23 May, 2018 5:50 pm

 

सतना जिले की जैव विविधता प्रबंधन समिति को राष्ट्रीय जैव विविधता पुरस्कार से नवाजा गया है। तेलांगाना के राज्यपाल श्री ई. नरसिंहम्न ने यह अवार्ड अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर हैदराबाद के प्रो. जयशंकर कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में दिया। समिति की ओर से यह पुरस्कार अध्यक्ष श्री बाबूलाल दाहिया ने ग्रहण किया। इस अवसर पर तेलांगाना के वन मंत्री, राज्य जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष और देश के जैव विविधिता विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।

सामुदायिक बीज बैंक की स्थापना उचेंहरा जनपद में स्थित पिथौराबाद समिति पिछले 7 सालों से मध्यप्रेदश राज्य जैव विविधता बोर्ड के मार्गदर्शन में तकरीबन 125 प्रकार की परम्परागत देशी धान प्रजाति का संरक्षण कर रही है। समिति द्वारा हर साल छोटे-छोटे भू-खंडों पर धान की तमाम परम्परागत प्रजातियों को उगाया जाता था। बोर्ड ने इसे आसान बनाते हुए यहाँ वैज्ञानिक तरीके से बीज बैंक की स्थापना करवाई। बीज बैंक में अब धान, गेहूँ, चना, मसूर, मक्का, कोदो, कुटकी, सांवा और अनेक देशी सब्जियों के बीज संरक्षित हैं। फसल आने पर किसान द्वारा एक के बदले सवा गुना वापिस करता है जिससे हर साल बीज बैंक में नया बीज बना रहता है।

परम्परागत देशी अनाजों को बाजार से जोड़ने की पहल समिति ने परम्परागत देशी अनाजों की खेती संरक्षण और उनकी चुनी हुई किस्मों भी की है। किसान बैंक से देशी अनाजों का बीज लेकर खेतों में उगाते हैं। उनके द्वारा उत्पादित गेहूँ, धान, तिल, मक्का, ज्वार आदि अनाजों को दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई, झारखंड और बेंगलोर के बाजारों में ऊँचा मूल्य दिलवाकर बिकवाया जाता है। समिति द्वारा जैव विविधिता पंजी का निर्माण कर ग्राम पंचायत क्षेत्र में पाई जानेवाली सभी जैव विविधता दर्ज की गई है। समिति की रणनीति धान की तीन पारंपरिक किस्मों तिलसान, दिलबक्सा और कमलश्री का व्यापक स्तर पर उत्पादन करना है।

पेड़ पौधे, देशी सब्जियों एवं जड़ी-बूटी संरक्षण : समिति के सदस्य श्री रामलौटन कुशवाहा द्वारा 100 से अधिक पेड़-पौधे, वनस्पति, जड़ी-बूटी और कंदों का संरक्षण किया जा रहा है। इनकी वाटिका में परसमनिया पठार का प्राय: हर पौधा और जड़ी-बूटी संरक्षित है। श्री रामराज कुशवाह के खेत में लगभग 40 देशी सब्जियों के बीज को संरक्षित करने के साथ अन्य किसानों को भी इनका बीज प्रदाय किया जा रहा है। जैव विविधता समिति द्वारा पंजी में ग्राम पंचायत क्षेत्र में पाई जाने वाली सभी तरह की जैव विविधता को दर्ज किया गया है।

हर साल होता है बीज महोत्सव और किसान सम्मेलन : समिति हर साल परम्परागत अनाजों की अहमियत, पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता के महत्व को समझाने के लिये बीज महोत्सव एवं प्रक्षेत्र दिवस और किसान सम्मेलन आयोजित करती है। इनमें किसानों को खेती में ही उत्तम किस्म के बीज का चयन और जैविक खाद, जीवामृत खाद आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। किसान अपने खेतों के अनुरूप बीज चुन सके। इसके लिये मदद के साथ देशी बीजों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है।

अनाज और जड़ी-बूटी प्रदर्शनी : कृषि विज्ञान केन्द्रों, पूसा संस्थान नई दिल्ली, वन मेला, भोपाल, हैदराबाद, अहमदाबाद, बेंगलोर, चित्रकूट, रीवा आदि स्थानों पर प्रदर्शनी लगाई जा चुकी है।

सदस्य सचिव मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड श्री श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि पिथौराबाद समिति से प्रेरणा लेकर बोर्ड ने प्रदेश के 40 जिलों से पारम्परिक किस्मों के बीजों को इकट्ठा करने के लिये 'बीज बचाओ-कृषि बचाओ यात्रा' मई 2017 से जुलाई 2017 तक आयोजित की थी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश