Posted on 08 Sep, 2017 7:33 pm

 

मध्यप्रदेश में जीएसटी अधिनियम एक जुलाई से लागू हो गया है। प्रदेश के व्यवसाइयों को अपने विवरण-पत्र और कर राशि ऑनलाइन जमा करने की सुविधा जीएसटीएन के वेब पोर्टल पर उपलब्ध करवाई गई है। इस सुविधा का लाभ अब तक बड़ी संख्या में व्यवसाइयों ने उठाया है।

वाणिज्यिक कर विभाग ने जानकारी दी है कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू होने के पहले केन्द्र तथा राज्य शासन द्वारा लिये जाने वाले पृथक-पृथक करों के लिये व्यवसाई पृथक-पृथक ही पंजीकृत होते थे। व्यवसाई अपने विवरण-पत्र और कर राशि केन्द्र और राज्य शासन को पृथक-पृथक ही जमा किये करते थे। जीएसटी लागू होने के बाद से केन्द्र और राज्य शासन द्वारा लिये जाने वाले विभिन्न करों को आपस में समाहित कर एक कर दिया है। इस कारण अब प्रदेश के व्यवसाइयों को जीएसटी के तहत न तो केन्द्र और राज्य के लिये अलग-अलग पंजीयन लेने की और न ही अलग-अलग विवरण-पत्र प्रस्तुत करने की जरूरत है। विभाग ने यह भी बताया है कि प्रदेश के व्यवसाइयों में इस बात को लेकर अब कोई भ्रम नहीं है।

वाणिज्यिक कर विभाग ने यह भी बताया है कि केन्द्र और राज्य शासन के कराधान विभागों में जो व्यवसाई पंजीकृत थे वे सभी व्यवसाई समेकित रूप से अब जीएसटीएन के पोर्टल में माइग्रेट होकर पंजीकृत व्यवसायी के रूप में दिख रहे हैं। अत: यह नहीं कहा जा सकता कि केन्द्र एवं राज्य शासन के बीच अपने-अपने पंजीकृत व्यवसाइयों की जानकारी साझा नहीं हुई है। वैसे तो पंजीकृत व्यवसाइयों को अपने अधिकांश वैधानिक कार्य जीएसटीएन पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन ही सम्पादित करने हैं, परंतु प्रशासकीय दृष्टि से इन व्यवसाइयों का विभाजन केन्द्र और राज्य शासन के बीच किया जाना है। विभाग में इसका फार्मूला भी तय हो चुका है और शीघ्र ही विभाजन कर दिया जायेगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में विभाजन नहीं होने से न तो व्यवसाइयों का कार्य बाधित हो रहा है और न ही केन्द्र और राज्य शासन का।

व्यवसाइयों द्वारा जीएसटीएन पोर्टल के माध्यम से जमा किये गये विवरण-पत्रों की जानकारी जीएसटीएन पोर्टल में केन्द्र और राज्य शासन के सर्किल कार्यालय और जिला-स्तर के उन सभी अधिकारियों को दिख रही है, जिन्हें वास्तव में इस कार्य की निगरानी करनी है। विभाग ने यह भी बताया कि जीएसटी एक नई प्रणाली है, जिसमें शुरूआत के दौर में व्यवसाइयों को कठिनाई आ रही है। वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारी व्यवसाइयों से व्यक्तिगत रूप से फोन पर सम्पर्क कर विवरण-पत्र प्रस्तुत करने में आने वाली कठिनाइयों का निराकरण कर रहे हैं। इसके लिये वाणिज्यिक कर विभाग के कार्यालयों में हेल्प-डेस्क भी बनाई गई है।

वाणिज्यिक कर विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जीएसटी लागू होने के पहले की अवधि के विभिन्न अधिनियमों में बकाया राशि को जमा किये जाने का कार्य पुराने अधिनियमों के अनुसार ही किया जायेगा। विभाग ने सभी व्यवसाइयों से कार्यालयों में बनाई गई हेल्प-डेस्क की मदद लेने का आग्रह किया है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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