Posted on 31 Dec, 2016 4:01 pm

भोपाल : शनिवार, दिसम्बर 31, 2016, 15:25 IST
 

मध्यप्रदेश में चल रही नर्मदा सेवा यात्रा दुनिया के ऐसे जन-अभियान का रूप धारण कर रही है, जिसमें क्षेत्र, जाति, धर्म और समुदाय की सीमाओं से परे, छोटे-बड़े, अमीर-गरीब के भेदभाव बिना हर कोई स्व-प्रेरणा से भागीदार बन रहा है। नर्मदा को प्रदूषणमुक्त करवाने की ऐसी चेतना जागी है कि साधु-संत, ज्ञानी, आर्चबिशप और हाजी सब बोल रहे 'हर-हर नर्मदे।'

दुनिया का यह ऐसा जन-आंदोलन है जिसमें जाति-धर्म, पक्ष-विपक्ष, वाद-विवाद या किसी समूह या दल के भेदभाव के लिये कोई जगह नहीं है। चाहे कोई किसी भी जाति या धर्म का हो, किसी भी राजनैतिक दल या संस्था का हो, सबके जेहन में एक ही धुन सवार है माँ नर्मदा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाना और इसके प्रवाह को प्रबल बनाना। सब अपने-अपने तरीके से यात्रा का अभिनंदन कर उसमें शरीक हो जाते हैं। इसकी मिसाल जबलपुर के बरगी नगर में मिली जहाँ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में परम पूज्य संत स्वामी श्री अखिलेश्वरानंद, श्री गिरीशानंद, श्री बलवीर सिंह सीचेवाल, आर्च बिशप अल्मेड़ा एवं पी.सी. सिंह तथा हाजी मुश्ताक अली, हाजी कादिर अली कादिरी ने माँ नर्मदा की महिमा का अपने-अपने ढंग से बखान कर उसके मानव जीवन के कल्याण के लिये दिये गये वरदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

नैसर्गिक संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति जन-चेतना फैलाने के लिये शुरू की गई यह यात्रा हर वर्ग का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब हो रही है। इसमें शामिल हर जाति, धर्म और समुदाय के किसान, मजदूर, व्यापारी, छात्र-छात्राएँ सरकारी और गैर सरकारी चाहे अधिकारी हो या कर्मचारी, सबका एक ही लक्ष्य है माँ नर्मदा की धारा को प्रबल बनाना। यात्रा में स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दराज जिलों से आये हुए लोग भी शामिल होकर यात्रा के पवित्र उद्देश्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।

यात्रा के प्रवर्तक मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मानव-जीवन के कल्याण के लिये ही नहीं वरन संपूर्ण पादप और जंतु जगत के अस्तित्व को बनाये रखने के लिये शुरू की गई इस यात्रा में लोगों की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। पिछले 11 दिसम्बर से शुरू यह यात्रा पूरे उत्साह और श्रद्धा भाव के साथ अनवरत जारी है।

यात्रा जब किसी गाँव में पहुँचती है तब ऐसा लगता है जैसे साक्षात माँ नर्मदा का प्रवाह उस गाँव में पहुँच गया है। महिला-पुरूष गाँव की सीमा पर यात्रा की अगवानी करते हैं और उसके साथ चल पड़ते हैं। बस्तियों के माहौल में उत्साह और उमंग किसी पर्व और उत्सव से कई गुना ज्यादा होती है। रास्ते में लोग पलक पावड़े बिछाकर यात्रा के स्वागत को खड़े रहते हैं। महिलाएँ और बालिकाएँ सिर में दीपक जलते कलश धरे और घर के द्वारे पर तरह-तरह के रंगों और फूलों की पंखुड़ियों से रांगोली सजाकर यात्रियों का अभिनंदन करती हैं।

यात्रा लोगों को यह एहसास कराने में कामयाब होती दिख रही है कि उन्होंने जंगलों की अँधाधुंध कटाई कर और माँ नर्मदा में गंदगी प्रवाहित करने का भयंकर पाप किया। इससे लोगों को अपनी गलतियों को सुधारने का मानस बन रहा है। उनकी आत्मा कचोट रही है कि जिस माँ नर्मदा ने उन्हें जीवन के साथ सुख और समृद्धि दी है, उसका उन्होंने अँधाधुंध दोहन कर न केवल अपने जीवन को बल्कि संपूर्ण जंतु-जगत को संकट में डाल दिया है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं यात्रा में बीच-बीच में शामिल होकर पदयात्रियों को प्रोत्साहित करते हैं। पद यात्रा में प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का समर्पण देखकर यात्रा में अपार जनसमूह शामिल हो रहा है। जगह-जगह और जन-जन इस महत्ती अभियान को सिर-माथे ले रहा है। दुनिया में ऐसे बिरले राजनेता हैं जिन्होंने कोई प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के जनांदोलन की अगुवाई की हो।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश