Posted on 02 Jul, 2016 5:44 pm

जल-संसाधन विभाग में सूचना-प्रौद्योगिकी के उपयोग से काम की प्रक्रिया को सरल किया गया है। विभाग के कार्य में पारदर्शिता भी आयी है। विभाग में राज्य शासन और विभागाध्यक्ष स्तर पर जारी होने वाले सभी प्रशासनिक, तकनीकी आदेश और निर्देश विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित किये जा रहे हैं। सभी निर्माण कार्य की निविदा ई-टेण्डरिंग से आमंत्रित की जा रही है।

विभाग में पिछले वर्ष 20 लाख रुपये से ऊपर की 87 निविदा और 20 लाख रुपये तक की 61 निविदा भी ई-टेण्डरिंग से आमंत्रित की गयीं। यह निविदाएँ विभाग के तकरीबन 1800 निर्माण कार्य से संबंधित थीं। जल-संसाधन विभाग की कई प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने के लिये इंटरप्राइज इन्फार्मेशन मेनेजमेंट सिस्टम तैयार किया गया है। विभाग के सभी बड़े और मध्यम जलाशयों में प्रतिदिन जल-स्तर एवं जल की मात्रा की जानकारी के लिये एसएमएस बेस्ड रिजर्वायर लेवल मॉनीटरिंग सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। 10 लाख रुपये से अधिक के निर्माण कार्यों के अनुबंध में ठेकेदार के बिल का भुगतान करने के लिये ई-मेजरमेंट बुक का उपयोग किया जा रहा है।

प्रदेश में औद्योगिक उपयोग के लिये जल-प्रदाय का देयक तैयार करने और राजस्व वसूली के लिये नॉन एग्रीकल्चर रेवेन्यू मॉनीटरिंग सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। जलाशयों में जल के संग्रहण, सिंचाई के लक्ष्य का निर्धारण और उपलब्धि की समीक्षा नियमित रूप से वेबसाइट पर प्रदर्शित की जा रही है। इसमें रबी सीजन में सिंचाई की जानकारी पाक्षिक रूप से प्रत्येक माह की 5 एवं 20 तारीख तक वेबसाइट पर अपडेट किये जाने की व्यवस्था है। विभाग के मैदानी कार्यालयों द्वारा विभिन्न सिंचाई योजना के निर्माण के लिये बजट की माँग वेबसाइट के जरिये ही की जा रही है। प्रमुख अभियंता कार्यालय द्वारा कार्यालयों को ऑनलाइन बजट आवंटित किये जाने की व्यवस्था है।

सूचना-प्रौद्योगिकी सेवा के उपयोग से विभाग में कागजी दस्तावेज संधारित करने की जरूरत घटकर 50 प्रतिशत रह गयी है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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