Posted on 02 Feb, 2018 9:37 am

 
भोपाल : शुक्रवार, फरवरी 2, 2018, 12:57 IST

 

मुरैना जिले के पहाड़गढ़ विकासखण्ड की सुदूर ग्राम पंचायत जडेरू के ग्राम अमोही में एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन का कार्य पूर्ण होते ही 30-35 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होने लगी है। किसान पम्प लगाकर फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी लेने लगे हैं। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होने लगी है। यहाँ पहले एक हेक्टेयर में 8 क्विंटल के हिसाब से सरसों होती थी। अब यह उत्पादन बढ़कर 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया है। इसी तरह, पहले प्रति हैक्टेयर गेहूं 30 क्विंटल होता था जो बढ़कर अब प्रति हैक्टेयर 50 क्विंटल हो गया है। पर्याप्त पानी मिलने से किसान फसलों के चयन में परिवर्तन भी करने लगे हैं। पूर्व में खरीफ की ज्वार, बाजरा और रबी फसल में सरसों की फसल ही ले पाते थे। अब सिंचाई सुविधा होने से खरीफ की फसलों में तो वृद्धि हुई है, साथ ही रबी में सरसों, गेहूं के साथ-साथ चना और गन्ने की फसल भी ले रहे हैं।

इस ग्राम को पहले काफी पिछड़े इलाके के नाम से जाना जाता था। यहां आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं थे। यहां आदिवासी एवं गुर्जर समुदाय के लोग ज्यादा हैं। इनका मुख्य व्यवसाय कृषि और पशु पालन है। असिंचित क्षेत्र होने के कारण खेती में परेशानी होती थी। किसान 30 हेक्टेयर में से केवल 15 हेक्टेयर क्षेत्र में ही खेती कर पाते थे, वो भी वर्षा पर निर्भर रहकर।

किसानों की इस गंभीर समस्या को दृष्टिगत रखते हुये शासन द्वारा गांव में एकीकृत जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लिए ग्रामवासियों की बैठक बुलाकर माइक्रोवाटर रोड के काम की शुरूआत की गई। इसमें 1250 हेक्टेयर क्षेत्र को स्वीकृत करके पानी को रोकने हेतु रपटा निर्माण कार्य शुरू किया गया। इस पर 4 लाख 97 हजार रूपये व्यय करके रपटा का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया गया ताकि बहते पानी को रोक कर सिंचाई के उपयोग में लाया जा सके, कुओं एवं हैण्डपम्पों को रिचार्ज किया जा सके और भू- जल स्तर की उपलब्धता अवधि को बढ़ाया जा सके।

इस परियोजना के सफल होने से किसान परिवारों को काफी राहत मिली है। अब यहां के नाले का पानी हर मौसम में उसी नाले में रहता है। रपटा में भी औसतन 200 मीटर लम्बाई तक पानी भरा रहता है। संरचना निर्माण होने से रपटा के आसपास के किसान उम्मेद सिंह गुर्जर, लक्ष्मण सिंह, रामबरन आदि अनेकों स्थानों पर पंप लगा कर खेती के लिए पर्याप्त पानी ले रहे हैं। गांव के पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पेयजल और ग्रामीणों को निस्तार आदि के लिए भी पानी मिल रहा है। एकीकृत जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन से क्षेत्र में भू-जल स्तर बढ़ गया है। गांव के सिरनाम गुर्जर ने तो पानी की पर्याप्त उपलब्धता से फायदा लेकर खेती के साथ-साथ ईंट भट्टा स्थापित कर अतिरिक्त आय का जरिया भी बना लिया है। इससे सिरनाम की आर्थिक स्थिति और अधिक सुदृढ़ हो गई है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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