Posted on 14 Mar, 2018 3:01 pm

 

ग्वालियर के दिहाड़ी श्रमिक राकेश कुशवाह की आँखों का इलाज दीनदयालय अन्त्योदय उपचार योजना और जनसुनवाई के कारण संभव हुआ है। डबरा तहसील के ग्राम बहादुरपुर निवासी राकेश कुछ वर्ष पूर्व ट्रेक्टर दुर्घटना में घायल हो गये थे। इस दुर्घटना में उनकी आँख को गहरी चोट पहुँची थी। उनकी आंखों की पलक भी कट कर गिर गई थी। आँख की रोशनी भी कम हो गई थी।

छह भाइयों के श्रमिक परिवार के सबसे छोटे सदस्य राकेश ने प्रदेश सरकार की दीनदयाल उपचार योजना के तहत भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आँखों का ऑपरेशन करवाया। सरकार के खर्चे पर हुए ऑपरेशन से उनकी आँख की रोशनी लौट आई परन्तु आँख की पलक का इलाज नहीं हो पाया। पलक न होने से राकेश बगैर चश्मे के एक पल भी नहीं रह पाते थे। इससे उन्हें बड़ी तकलीफ होती थी।

राकेश ने ग्वालियर के रतन ज्योति नेत्रालय में अपनी आँख की जाँच करवाई। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि आँख में पलक लगाया जाना संभव है। इस ऑपरेशन पर लगभग 35 हजार रुपये का खर्च आयेगा। इतनी बड़ी रकम का इन्तजाम बीमार राकेश की हैसियत से बाहर था। उसे राज्य बीमारी सहायता योजना के तहत आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही थी क्योंकि यह ऑपरेशन सहायता निधि में चिहिंत बीमारियों में शामिल नहीं था।

जब कहीं से कोई उम्मीद नहीं दिखी, तो राकेश ने कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई कार्यक्रम में कलेक्टर श्री राहुल जैन को अपनी व्यथा सुनाई। कलेक्टर ने कागजात देखे और रतन ज्योति नेत्रालय में टेलीफोन पर सम्पर्क कर राकेश के इलाज में रियायत देने का आग्रह किया। रतन ज्योति नेत्रालय ने कुल खर्चें में से 15 हजार रुपये कम कर दिये। कलेक्टर ने रेडक्रॉस से शेष 20 हजार रुपये का चेक राकेश को सौंप दिया।

राज्य सरकार से मिली इस त्वरित आर्थिक मदद से राकेश बहुत खुश है। प्रदेश में प्रशासन की संवेदनशीलता का यह जीवंत उदाहरण है। प्रशासन की इसी सोच और तत्काल सहयोग से राकेश की आँखों को पलकों की छांव मिल गई हे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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