Posted on 26 Dec, 2016 2:15 pm

भोपाल : सोमवार, दिसम्बर 26, 2016, 13:46 IST
 

मध्यप्रदेश में शुरू की गई नर्मदा सेवा यात्रा दुनिया का ऐसा अनूठा जनांदोलन बन रहा है, जिसमें जन-जन पर्यावरण संरक्षण का ध्वजवाहक बन गया है। इसमें हर कोई नर्मदा का गुणगान कर रहा है, नर्मदा के प्रति अगाध श्रद्धा को तरह-तरह से व्यक्त कर रहा है। कोई नारे लिख रहा है, कोई नारे लगा रहा है, कोई नृत्य कर रहा है, तो कोई गा रहा है। कहीं भजन हो रहा है, तो कहीं जन-संवाद। कहीं भाषण तो कहीं चर्चा। महिला-पुरूष, बच्चे-बुजुर्ग, शहरी और ग्रामीण सभी भेदभाव से ऊपर उठकर पर्यावरण संरक्षण के ध्वजवाहक बन रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल और प्रयास से 'नमामि देवी नर्मदे' के रूप में शुरू किया गया यह जनअभियान 16 वें दिन भी पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ अनवरत जारी है। यात्रा जिन गाँवों और बस्तियों में पहुँचती है, वहाँ उत्सव जैसा माहौल बन जाता है। जहाँ से भी यात्रा गुजरती है वहाँ का हर कोई अपना कामकाज छोड़ इसमें भागीदार बनने को उतावला हो जाता है। चाहे जन हो या जन-प्रतिनिधि, हर कोई माँ नर्मदा की सेवा को आतुर दिख रहा है।

अमरकंटक से चली यह श्रद्धा और संकल्पों की बयार माँ नर्मदा के प्रवाह के साथ निरंतर तेज हो रही है। महिला हो या पुरूष, बच्चे हो या बुजुर्ग, सब बड़े उत्साह और उमंग से वृक्षारोपण, स्वच्छता और नशा मुक्ति के लिये अपनी प्रतिबद्धता जता रहे हैं। इसमें शामिल होने को न केवल अपना सौभाग्य समझते हैं बल्कि पर्यावरण और नदी संरक्षण के लिये हरसंभव सहयोग करने का संकल्प ले रहे हैं।

यह शायद दुनिया का ऐसा जन-अभियान है जिसमें जाति-धर्म, पक्ष-विपक्ष, वाद-विवाद या किसी समूह या दल के भेदभाव के बिना सब एक ही मकसद के लिये दिल से जुड़ रहे हैं। एक ही मंच पर एक ही सुर, ताल और लय से सबका एक ही स्वर 'हर-हर नर्मदे' निकल रहा है। यात्रा में लोगों की भागीदारी माँ नर्मदा के प्रवाह की भाँति बढ़ती जा रही है। इसमें दूर-दराज के और आस-पास के गाँवों से निकलकर उप यात्राएँ भी शामिल हो रही हैं। कोई गाँव में तोरण द्वार या रंग-बिरंगी झण्डी लगाकर यात्रा का स्वागत कर रहा है, तो कोई और होर्डिंग लगाकर अभिनंदन कर रहा है। कोई पर्यावरण और नदी संरक्षण के नारे या संदेश लिये बैनर लगाकर इसमें भागीदार बन रहे हैं तो कोई अपनी लोक कलाओं और गीत-संगीत के जरिये यात्रा को सरस बना रहे हैं। कोई भण्डारा कर यात्रियों को भोजन करवाकर पुण्य कमा रहे हैं।

यात्रा प्रतिदिन प्रात: काल माँ नर्मदा की आरती और ध्वज पूजन कर पर्यावरण संरक्षण तथा माँ नर्मदा को प्रदूषण से मुक्ति के भाव के साथ शुरू होती है। यात्री ध्वज लेकर पैदल यात्रा पर चल पड़ते हैं। इसमें रास्ते में पड़ने वाली बस्तियों में रूक कर जन-संवाद किया जा रहा है, जहाँ लोगों को बताया जाता है कि प्रकृति ने हमें जीवन के साथ सुखी और स्वस्थ रूप से जीने के लिये जल, जंगल और जमीन रूपी अनमोल न्यामतें दी हैं, लेकिन मुनष्य उनका अंधाधुंध दोहन कर न केवल मानवता को संकट में डाल दिया है बल्कि उसके कृत्य से पूरे जन-जीवन के अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो गया है। यहाँ तक कि माँ नर्मदा जो मध्यप्रदेश के प्रदेशवासियों के लिये जीवनदायिनी है, उसका भी प्रवाह मानव की गलतियों के कारण धीमा हो गया है। नर्मदा नदी ने सुख और समृद्धि के लिये बिजली, सिंचाई और पीने का पानी क्या कुछ नहीं दिया है।

यात्रा के दौरान माँ नर्मदा की महिमा के संबंध में जनश्रुतियाँ, लोक गाथाएँ और लोक कलाएँ भी उभर के सामने आ रही हैं। यात्रा के 15वें दिन सिवनी जिले के विकासखण्ड घनसौर के ग्राम रामकुण्डी और दिवारी में ऐसा अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला जहाँ क्या जनता और क्या जन-प्रतिनिधि सब मांदर की थाप पर झूम रहे थे। कोई गा रहा है 'मांई रेवा के लगे हैं दरबार' तो कोई गा रहा है 'डुबकी लगा ले गुईंया नर्मदा में'।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान यात्रा को गति देने तथा यात्रियों में उत्साह और उमंग भरने के लिये लगभग हर दूसरे दिन इसमें शामिल हो रहे हैं। प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के प्रति प्रदेश के मुखिया की प्रतिबद्धता और ठोस पहल को देखकर यात्रा को अपार जन-समर्थन मिल रहा है। जगह-जगह और जन-जन इस महत्ती अभियान को सिर-माथे ले रहा है। दुनिया में ऐसे बहुत कम उदाहरण देखने को मिलते हैं जब किसी राजनेता ने प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अगुवाई की हो। श्री चौहान का यह प्रयास प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नारे 'सबका साथ-सबका विकास' को मूर्त रूप देने की दिशा में फलीभूत होते नजर आ रहा है।

नर्मदा नदी के उदगम स्थल अमरकंटक से विगत 11 दिसम्बर को शुरू हुई 3344 किलोमीटर की यह यात्रा 144 दिन में नर्मदा नदी के दोनों तट के 16 जिलों के 51 विकासखण्ड के 1100 कस्बों और गाँवों के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करेगी। यात्रा के दौरान शौचालय बनाने, वृक्षारोपण करने, स्वच्छता अपनाने, नशा छोड़ने का जहाँ संकल्प दिलाया जायेगा, वहीं ग्राम पंचायत एवं अन्य स्थानीय निकायों के सहयोग से घाटों की सफाई, पूजन-कुण्ड और मुक्तिधाम का निर्माण कर माँ नर्मदा को प्रदूषणमुक्त करने के स्थाई उपाय किये जायेंगे। अभी तक जिन गाँवों से यात्रा गुजरी है वहाँ के हजारों लोगों ने इस संबंध में अपनी सहमति दी है और संकल्प-पत्र भी भरे हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश