Posted on 22 Feb, 2018 12:22 pm

अमेरिका और बांग्लादेश में पाई जानी वाली दुर्लभ प्रजाति की मछली चीतल को सतना जिले की आबो-हवा में पाल कर मत्स्य कृषक दशरथ मल्लाह न केवल सबको हैरान कर दिया है, बल्कि इसके साथ ही मत्स्य पालन की तकनीक सीख कर चीतल मछली के कारोबार से हुए मुनाफे से अपनी बदहाल जिंदगी को खुशहाल जिंदगी में बदल लिया है।

सतना नई बस्ती के रहने वाले दशरथ मल्लाह तालाब में कतला और राहु मछली पालते थे। इससे उन्हे कम मुनाफा ही हो पाता था। मछली पालन में नई तकनीक अपनाकर अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते थे। उन्होंने बिहार जाकर चीतल मछली पालन की जानकारी ली और मछली का बीज ले आए। बस यहीं से उन्हें अपनी जिंदगी का मकसद मिल गया। इसके बाद उन्होने मत्स्य पालन विभाग से बदखर के तालाब को लीज पर ले कर मछली पालन शुरू कर दिया।

अमेरिका और बांग्लादेश की आबो-हवा के विपरित सतना के वातावरण में चीतल मछली पालन किसान दशरथ के लिए चुनौती भरा काम था। उन्होने अपने अनुभव और मत्स्य विभाग की सलाह पर मछलियों के लिए खुराक तैयार की। खुराक में मछलियों को सुखा कर उनका पाउडर बनाया और मछलियों की खुराक में मिला दिया। खुराक के इस मिश्रण से तालाब मे पल रही मछलियों की संख्या और आकार तेजी से बढ़ने लगा।

दशरथ के तालाब में 7 से 8 किलो वजन तक की चीतल मछलियाँ हजारों की तादाद में पल रही हैं। चीतल मछली में भरपूर प्रोटीन के साथ कई औषधीय गुण होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में चीतल मछली 800 से 1000 रूपये और स्थानीय बाजार में 300 से 500 रूपये प्रति किलो के भाव पर बिक जाती है। किसान दशरथ को मत्स्य पालन विभाग से 15 दिन का प्रशिक्षण भी मिला है। उन्हें 60 हजार रूपये का ऋण भी प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही जाल और नाव में भी उन्हें मछली पालन के लिए विभागीय मदद मिली है। मत्स्य विभाग ने किसान दशरथ की तकनीक से प्रभावित होकर उन्हें मत्स्य गोपाल उपाधि दी है दशरथ को आत्मा परियोजना में 10 हजार रूपये का पुरस्कार भी मिल चुका है।

मत्स्य विभाग ने दशरथ को रोल मॉडल बना कर उनकी तकनीक का प्रदेश भर में प्रचार करने का कार्यक्रम तैयार किया है। सतना जिले के कई मत्स्य पालक किसान दशरथ से प्रभावित होकर चीतल मछली पालन का मन बना चुके हैं।

 

सक्सेस स्टोरी (सतना)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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