Posted on 08 Sep, 2018 3:16 pm

 

सतना जिले के चित्रकूट में गौवंश विकास एवं अनुसंधान केन्द्र की गौशाला एकमात्र ऐसी गौशाला बनी हुई है, जहाँ देशी गौवंश नस्ल सुधार के लिए वास्तव में प्रयास किया जा रहा है। गौशाला में देशी नस्ल की साहीवाल, गिर, लालसिंधी, राठी, ओंगोल, हरियाणवी, कॉकरेज, थारपारक, वेचूर, खिल्लार, नागौरी, मालवी, देवनी एवं लाल कंधारी आदि नस्लों का वैज्ञानिक विधि से संरक्षण किया जा रहा है।

गौशाला प्रबंधन ने जिले के चित्रकूट क्षेत्र की पचास किलोमीटर की परिधि के ग्राम समूहों में उपलब्ध गायों के नस्ल सुधार के लिए प्रत्येक ग्राम समूह में साहीवाल, हरियाणवी, गिर और थारपारकर नस्ल के 72 उत्तम सांड प्रदाय किये गये हैं। पिछले चार वर्षो में 1588 स्थानीय गायों में कृत्रिम गर्भाधान से मझगवां के आसपास के 187 गाँवों में 1051 साहीवाल मिश्रित स्थानीय लाल रंग के बछड़े-बछिया देखने को मिल रहे हैं।

चित्रकूट गौशाला में सफल गौवंश नस्ल सुधार को देखकर आसपास के गौवंश पालकों में नई चेतना को संचार हुआ है। अब वे स्वयं अपनी देशी गायों की नस्ल के उन्नतिकरण के लिये गौशाला से संपर्क कर रहे हैं। इस गौशाला में 182 गायें हैं। यहाँ प्रति दिन 250 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। किसानों को जागरूक करने एवं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गौशाला में खेती की जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक खाद अपनाने की बड़े पैमाने पर पहल की जा रही है। गौशाला परिसर में दो विशाल बायोगैस प्लांट लगे हुए हैं। केंचुआ खाद के शेड बने हुए हैं। गौशाला में जैविक कीट नियंत्रक का उत्पादन भी लिया जाता है। प्रोटीनयुक्त पशु आहार के रूप में कम लागत से एजोला का उत्पादन लिया जा रहा है।


सक्सेस स्टोरी (सतना)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

Recent