Posted on 26 Jun, 2018 3:56 pm

 

अनूपपुर जिले में ग्राम सुनियामार की युवती चम्पा को आजीविका मिशन ने समय की मार और पारिवारिक परेशानियों से उबारकर पूरे जिले की सशक्त महिला बना दिया है। चम्पा जब 12 साल की थी, तब ही उसके सर से पिता का साया उठ गया। जैसे-तैसे माँ ने गृहस्थी चलाई लेकिन चम्पा का बड़ा भाई शादी होते ही परिवार को अकेला छोड़कर अलग हो गया। चम्पा की शादी हुई, लेकिन कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई, फिर भी चम्पा ने हार नहीं मानी। अपनी बूढ़ी माँ और छोटे भाई का सहारा बनी। आजीविका मिशन की मदद से 10 महिलाओं का कृष्णा स्व-सहायता समूह गठित किया। आज चम्पा अपने गाँव की कृषि सखी कहलाती है। इसके लिये उसने मध्यप्रदेश दीनदयाल अंत्योदय योजना के माध्यम से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था।

कृषि सखी के रूप में चम्पा ने जिले में जैविक खेती को प्रोत्त्साहित किया, इसके लिये ग्रामीण महिलाओं को जागृत किया। गाँव के किसानों को आजीविका पोषण वाटिका, वर्मी, आदि गतिविधियों के बारे में प्रोत्साहित किया। चम्पा को कृषि सखी के रूप में हरियाणा राज्य के झज्जर जिले में 15 दिनों के लिये कृषि सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति (सीआरपी राउण्ड के माध्यम से) के रूप में काम करने का मौका मिला। इसके बदले में उसे पहली बार एक साथ 11 हजार 600 रुपये मानदेय भी प्राप्त हुआ। उत्तरप्रदेश के हमीरपुर और जालौन जिले में भी चम्पा को कृषि सखी बनने का अवसर मिला।

कृष्णा स्व-सहायता समूह से प्राप्त ऋण से चम्पा ने भाई की शिक्षा पूरी करवाई, माँ का इलाज करवाया और पक्का मकान बनवाया। आज चम्पा अपनी जमीन पर खुद खेती एवं सब्जी उत्पादन से 11-12 हजार रुपये महीना आय प्राप्त कर रही है। समय पर ऋण चुकाती है और परिवार का पालन-पोषण भी बहुत अच्छी तरह करती है।

चम्पा को पिछले दिनों भोपाल में आजीविका एवं कौशल विकास दिवस पर कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य के लिये सम्मानित किया गया। चम्पा की माँ आज उसे बेटी नहीं बेटा कहकर बुलाती हैं

सक्सेस स्टोरी (अनूपपुर )

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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