Posted on 10 Sep, 2018 5:54 pm

 

कृषि और शिक्षा ऐसे क्षेत्र हैं, जिनकी व्यापकता आबादी के बड़े हिस्से तक है। इन दोनों क्षेत्रों की योजना का लाभ निचले स्तर तक पूरी गुणवत्ता के साथ पहुँचे, इसके लिये स्थानीय जरूरतों के मुताबिक कार्य-योजना बनाकर उसके क्रियान्वयन की जरूरत है। इन दोनों क्षेत्रों में आधुनिक टेक्नालॉजी का उपयोग कर योजना का फायदा जल्द और दुर्गम क्षेत्रों तक पहुँचा सकते हैं। यह विचार आज भोपाल में गुड गवर्नेंस की दो-दिवसीय रीजनल कॉन्फ्रेंस में विभिन्न राज्यों के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने व्यक्त किये।

कॉन्फ्रेंस में स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में इन्फार्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नालॉजी के प्रयोग पर प्रेजेंटेशन दिये गये। प्रेजेंटेशन के दौरान यह बात उभरकर आयी कि इन दोनों तकनीकों को अपनाकर शिक्षा की पहुँच दुर्गम इलाकों और अधिक से अधिक विद्यार्थियों के बीच बनायी जा सकती है। विद्यार्थियों को देश और दुनिया के विशेषज्ञों की जानकारी तत्काल उपलब्ध कराई जा सकती है। यह जानकारी बच्चों की शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिये काफी असरदायक होगी।

बिहार के बांका के कलेक्टर श्री कुंदन कुमार ने उनके द्वारा जिले में शुरू किये गये 'मेरा विद्यालय-मेरा मोबाइल' प्रोजेक्ट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट से विद्यार्थियों को एलसीडी टी.व्ही. के माध्यम से उपयोगी जानकारी दी गयी। कठिन से कठिन विषयों को विशेषज्ञों ने सरल तरीके से बच्चों को पढ़ाया। उन्होंने बताया कि स्कूल सिलेबस में से छोटे-छोटे वीडियो बनाकर बच्चों को समझाया गया। रिमोट एरिया में स्कूल ऑन व्हील का भी प्रयोग किया गया। टेक्नालॉजी के माध्यम से रियल टाइम में बच्चों के टेस्ट लेकर उनका मूल्यांकन किया गया।

इसी सत्र में राजस्थान के बारा जिले के कलेक्टर डॉ. एस.पी. सिंह ने उनके क्षेत्र में चलाये गये उत्कृष्ट प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शिक्षा में बच्चों की समझ बढ़ाने के लिये स्थानीय भाषा का भी उपयोग किया गया। प्रोजेक्ट में क्लास-रूम में एलसीडी टी.व्ही. का प्रयोग किया जा रहा है। बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है। क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन की दर बढ़ी है। कक्षा-10 और 12 के बोर्ड रिजल्ट में बच्चों के परीक्षा परिणाम में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के जिला कलेक्टर श्री सौरभ कुमार ने 'पढ़े दंतेवाड़ा-लिखे दंतेवाड़ा'' प्रोजेक्ट की जानकारी दी।

इस सत्र में पैनल डिस्कशन में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा, श्रीमती दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने बताया कि मध्यप्रदेश में एक साल में 28 हजार विद्यार्थियों के सपनों को राज्य सरकार की मेधावी विद्यार्थी योजना से पूरा किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिये सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रभावी तरीके से प्रयास किये हैं। प्रतिभाशाली बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिये लेपटॉप वितरित किये गये हैं। इस योजना से मध्यप्रदेश में बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है।

दूसरे सत्र में कृषि के क्षेत्र में गुजरात और पंजाब राज्यों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये किये जा रहे कार्यों पर प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किये। प्रतिनिधियों ने बताया कि किसानों को उनकी उपज बेचने के लिये मोबाइल पर मार्केट प्लेटफार्म उपलब्ध करवाये गये हैं। इस क्षेत्र में भी सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। गुजरात में को-ऑपरेटिव मूवमेंट के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों को संगठित कर फायदा पहुँचाया जा रहा है। सत्र में ईएम-3 एग्री सर्विस के श्री प्रणव जैन ने समाधान स्टार्ट-अप की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि युवाओं को कस्टम हॉयरिंग के माध्यम से स्व-रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। इन सेंटरों पर कृषि के आधुनिक उपकरण समेत ट्रेक्टर सुविधा भी उपलब्ध करवायी गयी है। यह एग्रो कम्पनी मध्यप्रदेश और राजस्थान में सफलतापूर्वक काम कर रही है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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