Posted on 10 Apr, 2018 4:36 pm

 

उत्सव प्रिय मध्यप्रदेश में पारम्परिक उत्सवों की श्रृंखला लगातार समृद्ध होती जा रही है। पहले यह उत्सव प्राय: शहरों तक सीमित रहते थे। पिछले पाँच वर्ष में इन उत्सवों का आयोजन बड़े शहरों से लेकर ग्रामीण स्तर तक किया जा रहा है। इससे प्रतिष्ठित कलाकारों का सीधा सरोकार आंचलिक संस्कृति और वातावरण से स्थापित हुआ। साथ ही स्थानीय आमजन संस्कृति की श्रेष्ठ गतिविधियों का आनंद ले पा रहे हैं।

प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया है कि पहले से आयोजित समारोहों के अलावा गत वर्षों में प्रारंभ किये गये प्रमुख समारोह में भोपाल में गणतंत्र दिवस के मौके पर पारम्परिक कलाओं का विश्व-स्तरीय समारोह 'लोक रंग', रायसेन जिले में भोजपुर महोत्सव, टीकमगढ़ जिले में गढ़कुण्डार महोत्सव, बैतूल जिले के मुलताई में ताप्ती महोत्सव, दतिया में सांस्कृतिक महोत्सव, ग्वालियर में धरोहर महोत्सव, चित्रकूट में स्वतंत्रता सग्राम सेनानी नानाजी देशमुख की जयंती पर शरदोत्सव, विश्व धरोहर साँची में बौद्ध विचार पर केन्द्रित महाबोधि उत्सव, भोपाल में कठपुतली कला पर केन्द्रित पुतुल समारोह और रीवा में विन्ध्य महोत्सव के आयोजन को व्यापक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है।

प्रमुख सचिव ने बताया कि इन समारोहों में बड़ी संख्या में सांस्कृतिक जन-भागीदारी यह बताती है कि ये आयोजन व्यापक रूप से लोकप्रिय हो रहे हैं। विभाग ने चालू माली साल में जिला स्तर पर और अंचलों में इन उत्सवों का अधिक विस्तार करने के उद्देश्य से 15 करोड़ 35 लाख रूपये की राशि खर्च करना तय किया है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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