Posted on 17 May, 2018 2:46 pm

 

बड़वानी जिले के राजपुर विकासखण्ड का ग्राम सनगाँव प्रदेश का एक मात्र ऐसा ग्राम है, जो सामाजिक सहभागिता और एकमात्र महिला शिवकन्या बाई के जज्बे और जूनून के कारण गरीबी से पूरी तरह मुक्त हो गया है। इस ग्राम का प्रत्येक परिवार लखपति बन गया है। वर्ष 2012 से पहले पूरा ग्राम खेती और मजदूरी पर ही निर्भर रहता था। ग्राम में रोजगार नहीं मिलने के कारण ग्रामीण शहरों में रोजगार की तलाश में पलायन कर जाते थे।

वर्ष 2012 में सनगाँव से कृषि मेले में सम्मिलित होने बड़वानी गई शिवकन्या बाई को स्व-सहायता समूह का ऐसा मंत्र मिला, जिसने गाँव से गरीबी के दंश को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। शिवकन्या ने गाँव की 10 बहनों के साथ मिलकर लक्ष्मी आजीविका स्व-सहायता समूह का गठन किया । आज गाँव में आजीविका मिशन के 10 स्व-सहायता समूह हैं, जिनमें 109 परिवारों की महिलाएँ सदस्य हैं। इन सदस्यों द्वारा अलग-अलग प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं।

स्व-सहायता समूहों द्वारा एक अगरबत्ती यूनिट स्थापित की गई है, जिसमें 8 महिलाएँ प्रतिदिन 400 किलो अगरबत्ती बना रही हैं। इनकी अगरबत्ती विभिन्न कम्पनियों द्वारा खरीदी जा रही है। कम्पनियों द्वारा कच्चा माल भी समूह को उपलब्ध कराया जाता है। समूह द्वारा प्रति दिन उत्पादित 400 किलो अगरबत्ती का बाजार मूल्य 5 हजार रुपये है।

एक अन्य समूह के 10 सदस्यों द्वारा गाँव में दोने- पत्तल बनाने का काम किया जा रहा है। इसके लिये मशीनें लगाई गई हैं। मशीनों से समूह द्वारा प्रति दिन 75 से 80 हजार दोने-पत्तल बनाये जा रहे हैं। समूह के 53 सदस्य डेयरी व्यापार, 4 महिलाएँ चूड़ी निर्माण, 42 महिलाएँ बकरीपालन, एक सदस्य सब्जी उत्पादन, 8 सदस्य सिलाई व्यवसाय, 5 किराना दुकान, 2 आटा चक्की, 3 मनिहारी, 12 व्यवसायिक सब्जी उत्पादन, 5 बाड़ी, 70 फसल उत्पादन, 5 सेन्ट्रिंग-राज मिस्त्री, एक ब्यूटी-पार्लर और एक सदस्य होटल व्यवसाय में संलग्न है। इन समूहों को आजीविका मिशन से एक लाख 24 हजार रूपये रिवाल्विंग फण्ड प्रदान किया गया था। बैंक द्वारा समूह की कार्य-प्रणाली को देखते हुए साढ़े 11 लाख रुपये की क्रेडिट लिमिट दी गई है।

महिला स्व-सहायता इन समूहों ने एक वर्ष में करीब 14 लाख रूपये की बचत की है। इस तरह गाँव के प्रत्येक परिवार की औसत मासिक आमदनी 10 हजार रूपये अर्थात सालाना सवा लाख रूपये हो गई है।शिवकन्या के उज्जवल आजीविका ग्राम संगठन के द्वारा आधुनिक प्रणाली से आमदनी और खर्चे का लेखा-जोखा रखा जाता है। बुक-कीपिंग का काम सुधा, राधेश्याम एवं सायकोर बाई करते हैं। सनगाँव में महिलाओं के हौसले और मेहनत का ही परिणाम है कि आज पूरा गाँव समृद्ध हो गया है।

महिला संगठन ने ग्राम पंचायत को घोषणा पत्र प्रस्तु‍त किया है जिसमें बताया गया है, कि अब हमारे गाँव के हर परिवार की सालाना आय एक लाख रुपये से अधिक हो गई है। इसलिए हमारे गाँव को गरीबी मुक्त गाँव घोषित किया जाए। अब सनगाँववासियों को गरीब कहा जाना रास नही आ रहा है। उनका बी.पी.एल सूची और बीपीएल कार्ड से मोह भंग हो गया है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश