Posted on 24 Jun, 2019 1:50 pm

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल ने प्रदेश की 22 हजार 812 ग्राम पंचायतों के पंच-सरपंच को पत्र भेजकर आव्हान किया है कि पेयजल संकट का सामना करने के लिये जल-सम्मेलन आयोजित कर पानी का बजट बनायें। प्रत्येक ग्राम में जल-संरक्षण की रणनीति तैयार की जाये। ग्राम पंचायतें अपने कार्य-क्षेत्र में पेयजल और खेती के लिये पानी की आवश्यकता, उपलब्धता, परम्परागत जल-स्रोतों की स्थिति एवं जल-संग्रहण क्षमता का आकलन करें। जल-स्रोतों के संवर्धन के लिये जन-सहभागिता से श्रमदान करायें। किसानों को खेतों में मेड़-बँधान और चेकडेम जैसी संरचनाएँ बनाने तथा कम पानी की फसल बोने के लिये प्रेरित करें।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि राज्य सरकार परम्परागत जल-स्रोतों के संरक्षण और नवीन संरचनाओं के निर्माण के लिये निरंतर कार्य कर रही हैं। प्रदेश के 36 जिलों में 40 ऐसी नदियाँ हैं, जिनका प्रवाह बंद हो गया है अथवा रुक गया है। इन्हें पुनर्जीवित करने की वृहद कार्य-योजना पर कार्य प्रारंभ किया गया है। इससे 3621 ग्रामों के सवा लाख से अधिक किसानों की 2 लाख 129 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पानी के संकट को दूर करने के लिये प्रतिबद्ध है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

 

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