Posted on 14 Apr, 2018 6:41 pm

 

मध्यप्रदेश में चिन्हित गुणवत्ता प्रभावित (फ्लोराइड आधिक्य) 9,183 बसाहटों में से 8,997 बसाहटों में सुरक्षित वैकल्पिक स्त्रोतों पर आधारित योजनाओं के माध्यम से शुद्ध पेयजल व्यवस्था हो गई है। शेष 186 गुणवत्ता प्रभावित बसाहटों में वर्ष 2018-19 में शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए बजट में 26 करोड़ 16 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। इन बसाहटों में फ्लोराइड आधिक्य की समस्या मुख्य है। इसके अलावा लौह आधिक्य एवं खारे पानी की भी समस्याएँ है।

मध्यप्रदेश की बसाहटों में गुणवत्ता से प्रभावित कोई और नई बसाहट प्रकाश में आने अथवा किसी बसाहट में कार्य शेष रह जाने पर उसे वर्ष 2018-19 में प्राथमिकता के आधार पर पूरा कर लिया जायेगा। राज्य सरकार ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम में ग्रामीण क्षेत्रों के शासकीय पेयजल स्त्रोतों के जल गुणवत्ता परीक्षण कार्य को भी शामिल कर लिया है। इस प्रकार ग्रामीणों को सुलभ एवं त्वरित पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए बेहतर प्रयास किये जा रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जल परीक्षण प्रयोग-शालाएँ स्थापित की गई हैं। प्रदेश में 51 जिला स्तरीय, 105 उप-खण्ड स्तरीय तथा मुख्यालय पर राज्य स्तरीय अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित है, जहाँ पेयजल स्त्रोतों के नियमित जल परीक्षण किये जाते हैं। राज्य स्तरीय प्रयोगशाला एनएबीएल (नेशनल एक्रीडिएशन फॉर बोर्ड ऑफ लैब)प्रमाणीकरण प्राप्त प्रयोगशाला है। इसी प्रकार प्रदेश की रतलाम जिला स्तरीय प्रयोगशाला को भी एनएबीएल से प्रमाणित करवाने की कार्यवाही चल रही है। इन प्रयोगशालाओं द्वारा वर्ष 2017-18 के दौरान 4 लाख 605 जल नमूनों का परीक्षण किया गया है। इसी तरह फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से लगभग 56 हजार 61 पानी के नमूनों की जाँच मैदानी अमले द्वारा की गई है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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