गंगा की निर्मलता उसके जीव-जंतुओं से प्रमाणित होगी- उमा भारती
Posted on 04 Aug, 2016 7:12 pm
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है किगंगा की निर्मलता उसके जीव-जंतुओं से प्रमाणित होगी। आज लोकसभा में एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा- ‘‘गंगा निर्मल हो गई है, यह हम किसी लैब से प्रमाणित नहीं करेंगे, बल्किजो जल जंतु जहां होना चाहिए, यदिवह वहां होगा तो वही गंगा की जीवन शक्तिका प्रमाण होगा।‘’ सुश्री भारती ने कहा किहमने नदी के जीव-जंतुओं के बारे में केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान (सिफरी) के साथ करार करके एक परियोजना शुरू की जिससे एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थितिका पता चला है। गंगा में स्नोट्राउट, गोल्डन फिश और हिल्सा जैसी मछलियां धीरे-धीरे खत्म हो गई हैं। मंत्री महोदय ने कहा किफरक्का बैराज जहां से हिल्सा मछली चंबल तक आती थी, अब उसका आवागमन रूक गया है। यह मछली लाखों मछुआरों के रोज़गार का साधन थी। वह प्रजनन के लिए मीठे पानी की ओर बढ़ती थी। जल संसाधन मंत्री ने सदन को बताया किकल ही उन्होंने यह फैसला किया है किहम फरक्का बैराज में फिश लैडर का निर्माण करेंगे, ताकिहिल्सा मछली बैराज में चंबल तक वापस आ सके और मछुआरों को रोज़गार मिल सके।
सुश्री भारती ने कहा किगंगा में डॉल्फिन की प्रजाति भी प्रदूषण के कारण अंधी हो गई हैं। उन्होंने बताया कियह तय किया किया है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के बाद एक बार फिर आंखों वाली डॉल्फिन की प्रजाति को गंगा में छोड़ा जाएगा। यदिवह फिर अंधी नहीं हुई तो हम यह मान लेंगे किअब गंगा की जीवंतता यथावत् हो गई है। नमामिगंगे कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए सुश्री भारती ने कहा किहमने सौ जगहों पर गंगा के कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें एक्वालाइफ की भी तीन परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें हम इन सभी प्रजातियों की मछलियों का ध्यान रखेंगे। मंत्री महोदया ने कहा किगंगा में कई तरह की मछलियों की प्रजातियां इसलिए खत्म हो गईं क्योंकिमहामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के साथ जो करार किया था उसमें यह तय हुआ था किगंगा की अविरलता बनी रहनी चाहिए। लेकिन यह अविरलता टूटने से ही ये सारी प्रजातियां समाप्त हो गईं। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि‘’अब हमने पर्यावरण मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय के साथ मिलकर यह तय किया है किगंगा पर किसी भी नई परियोजना के मामले में मालवीय करार का पालन करेंगे ताकिगंगा के जीव-जंतु सुरक्षित रह सकें।‘’ उन्होंने कहा किगंगा की निर्मलता का मुद्दा भी उसकी अविरलता से ही जुड़ा है।
सुश्री भारती ने सदन को बताया किनरौरा, हथनीकुंड एवं यमुना से निकलने वाले पानी के संबंध में हम राज्यों के साथ संवाद कर रहे हैं, ताकि सिंचाई के लिए हाइटैक टैक्नोलॉजी अपनाई जा सके। इससे नदियों का साठ प्रतिशत पानी बचाया जा सकेगा और गंगा एवं यमुना के मुख्य मार्ग में कम से कम तीस प्रतिशत पानी जरूर छोड़ा जा सकेगा। मंत्री महोदया ने कहा किउत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा की राज्य सरकारों से उन्होंने कहा है कि वे गंगा और यमुना के किनारे खुदवाए गए छोटे-छोटे तालाबों की सूची बना लें ताकिउनकी मरम्मत की जा सके और उनका इस्तेमाल मछली पालन के लिए किया जा सके और लीन पीरियड में उनका पानी भी नदी में छोड़ा जा सके।
उन्होंने कहा किहाइब्रिड एन्यूटी के आधार पर हरिद्वार से गंगा सागर तक सीवेज और उद्योगों की गंदगी का निपटारा किया जा सकेगा जिसमें सौलह सौ गांव और 144 बड़े नाले शामिल हैं। सुश्री भारती ने बताया किसींचेवाल मॉडल पर इन गांवों की गंदगी का उपचार करने के लिए एक अलग व्यवस्था की जा रही है। उद्योगों और शहरों के सीवेज के उपचार के लिए तेरह बड़े शहरों में हाइब्रिड एन्यूटी के आधार पर जल शोधन संयत्र लगाए जाएंगे। सुश्री भारती ने सदन को बताया किहमने कल राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को सूचित किया है किहम दिल्ली में यमुना को हाइब्रिड एन्यूटी पर ले जाकर पूरी की पूरी यमुना और उसके घाटों को ठीक करना चाहते हैं। मंत्री महोदया ने कहा किगंगा के लिए हमें जो 20 हज़ार करोड़ रुपए मिले हैं उसमें से 8 हजार करोड़ रुपए नई योजनाओं पर खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा किगंगा को ठीक करने के लिए हमने जो योजना बनाई है उसका अगला चरण मथुरा, वृंदावन, कानपुर और वाराणसी में इस महीने की 20 तारीख से पहले शुरू हो जाएगा। मथुरा-वृंदावन का ट्रिटेड जल यमुना में छोड़ने के बजाय मथुरा तेल शोधन संयत्र को दिया जाएगा। वाराणसी में गंगा का ट्रिटेड जल गंगा में छोड़़ने के बजाय रेलवे को उपयोग के लिए दिया जाएगा।
मंत्री महोदया ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया किगंगा के मुद्दे पर विशेष उल्लेख के जरिए अलग से चर्चा कराई जाए ताकिदेश को सदन के माध्यम से इस बारे में पूरी जानकारी मिल सके किगंगा के बारे में हम क्या कर रहे हैं? सुश्री भारती ने सदन को आश्वासन दिया कि नमामिगंगे का पहला चरण अक्तूबर, 2016 में, निर्मलता का दूसरा चरण अक्तूबर, 2018 तक और तीसरा चरण वर्ष 2020 तक पूरा हो जाएगा। सुश्री उमा भारती ने कहा ‘’जब आए हैं गंगा के दर पर तो कुछ करके उठेंगे, या तो गंगा निर्मल हो जाएगी या मर के उठेंगे।‘’
Courtesy – Press Information Bureau, Government of India