Posted on 06 Sep, 2018 3:05 pm

 

मंदसौर जिले के ग्राम नीनोरा में महिला कृषक शाँति बाई लम्बे समय से खेती कर रही है। अपने खेत में परिवार के सदस्यों की मदद से सोयाबीन, मक्का, लहसुन, प्याज, उड़द, मूँग जैसी फसलें ले रही है। शाँति अपने परिवार की कृषि से होने वाली आय बढ़ाना चाहती थी। इस बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा की, तो उसे खेती के साथ पशुपालन करने की सलाह मिली। उसने नाबार्ड के अधिकारियों से चर्चा की, तो स्व-सहायता समूह के माध्यम से 50 हजार रुपये की राशि आर्थिक सहायता स्वरूप मिली। इस राशि से एक जर्सी गाय और एक एचएल नस्ल की गाय खरीदी।

उन्नत नस्ल की गाय से कृषक शाँति के परिवार को रोज 10 लीटर से अधिक दूध मिल रहा है, जिसे वह महिला दुग्ध सहकारी समिति को बेच रही है। इसके उसे अच्छे दाम मिल रहे हैं। अब शाँति पशुपालन से 5 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रही है। पशुपालन से दूध के अलावा गोबर खाद भी मिल रही है, जो खेत में काम आ रही है।

कृषक शाँति बाई का मानना है कि खेती और पशुपालन में लगातार बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में खेती और पशुपालन को साथ-साथ कर निश्चित तौर पर आमदनी बढ़ाई जा सकती है। अब शाँति अपने अनुभव क्षेत्र की अन्य महिलाओं को बताकर पशुपालन से जुड़ने की सलाह दे रही है।

 है। अपने खेत में परिवार के सदस्यों की मदद से सोयाबीन, मक्का, लहसुन, प्याज, उड़द, मूँग जैसी फसलें ले रही है। शाँति अपने परिवार की कृषि से होने वाली आय बढ़ाना चाहती थी। इस बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा की, तो उसे खेती के साथ पशुपालन करने की सलाह मिली। उसने नाबार्ड के अधिकारियों से चर्चा की, तो स्व-सहायता समूह के माध्यम से 50 हजार रुपये की राशि आर्थिक सहायता स्वरूप मिली। इस राशि से एक जर्सी गाय और एक एचएल नस्ल की गाय खरीदी।

उन्नत नस्ल की गाय से कृषक शाँति के परिवार को रोज 10 लीटर से अधिक दूध मिल रहा है, जिसे वह महिला दुग्ध सहकारी समिति को बेच रही है। इसके उसे अच्छे दाम मिल रहे हैं। अब शाँति पशुपालन से 5 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रही है। पशुपालन से दूध के अलावा गोबर खाद भी मिल रही है, जो खेत में काम आ रही है।

कृषक शाँति बाई का मानना है कि खेती और पशुपालन में लगातार बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में खेती और पशुपालन को साथ-साथ कर निश्चित तौर पर आमदनी बढ़ाई जा सकती है। अब शाँति अपने अनुभव क्षेत्र की अन्य महिलाओं को बताकर पशुपालन से जुड़ने की सलाह दे रही है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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