Posted on 12 Jul, 2018 7:49 pm

किसी जमाने में मध्यप्रदेश के श्रमिकों के लिये खुद का पक्का मकान दिवा-स्वप्न हुआ करता था, आज ऐसा नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना से श्रमिकों का यह सपना अब हकीकत बन गया है। मुरैना जिले में इस योजना ने खानाबदोशों को भी पक्का मकान देकर स्थाई निवासी बना दिया है। अब प्रदेश में श्रमिक और गरीबों को यह भरोसा हो गया है कि सरकार उनके अपने घर के सपने को हकीकत में बदल रही है।

मुरैना जिले के छौंदा ग्राम में खानाबदोशों के 10 परिवार कल तक कच्चे झोपड़ों में रहकर, लोहे से खुर्पी, हँसिया और चिमटा जैसे सामान बनाकर, बेचकर गुजारा कर रहे थे। स्थानीय प्रशासन ने जब इनसे बात की, तो अहसास हुआ कि ये परिवार खानाबदोशी की पुश्तैनी परम्परा को छोड़कर एक जगह बसना चाहते हैं, ताकि इनके बच्चे अच्छे से पढ़-लिख सकें, लेकिन इनके पास घर बनाने के लिये न तो जमीन थी और न ही पैसा।

प्रशासन ने इन खानाबदोशों को प्रधानमंत्री आवास (शहरी) योजना के दायरे में लिया और सभी परिवारों को 30×30 वर्गफुट रहवासी जमीन का पट्टा दिया और घर बनाने के लिये ढाई-ढाई लाख रुपये भी दिये। आज ये सभी परिवार अपने नये घरों में बस गये हैं। इन परिवारों के मुखिया मिठ्ठू, राजू, बेताल, लाखन, पप्पू, सनी, नैना, जबरसिंह, सियाराम और रमेश अब मुरैना जिले के निवासी बन गये हैं। इन्हीं परिवारों में से एक बेताल की पत्नी पूजा अपना पक्का घर मिलने से अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहती है कि हमें अपनी शादी होने पर इतनी खुशी नहीं हुई थी, जितनी आज अपना स्थाई पक्का घर मिलने से हुई है।

बुरहानपुर जिले में शाहपुर निवासी प्रकाश जंजालकर ने प्रधानमंत्री आवास योजना में पक्का मकान बनाने के लिये मिली ढाई लाख रुपये की आर्थिक सहायता में अपने पास से डेढ़ लाख रुपये और मिलाकर सुंदर पक्का घर बना लिया है। इस घर में शौचालय भी है। अब प्रकाश अपनी पत्नी वंदना और दो बेटों के साथ इस घर में खुशी-खुशी जीवन बिता रहे हैं।

प्रकाश श्रमिक है और अभी तक टीन के छप्पर वाले कच्चे घर में गुजारा करता रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही इसके मकान के निर्माण का काम पूरा हुआ, जिसमें उसने खुद मजदूरी भी की। मकान बनते ही प्रकाश सपरिवार अपने पक्के घर में शिफ्ट हो गया है।

सक्सेस स्टोरी (बुरहानपुर, मुरैना)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश