Posted on 07 Dec, 2016 12:47 pm

भोपाल : बुधवार, दिसम्बर 7, 2016, 12:19 IST

 

मध्यप्रदेश खनिज संसाधन के रूप में देश के सम्पन्न राज्य में गिना जाता है। प्रदेश के जिन क्षेत्रों में खनिज सम्पदा पायी जाती है, उन क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास कार्यों के लिये राज्य सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। इसके लिये मध्यप्रदेश ग्रामीण अवसंरचना तथा सड़क विकास अधिनियम लागू किया गया है। यह अधिनियम वर्ष 2005 से लागू किया गया है।

इस अधिनियम के माध्यम से खनन क्षेत्रों की भूमि पर कर लिये जाने का प्रावधान किया गया है। इस व्यवस्था से राज्य सरकार को खनिज रॉयल्टी के अलावा कर की प्राप्ति हुई है। वर्ष 2004 से वर्ष 2016 तक 4500 करोड़ 37 लाख की राशि कर के रूप में प्राप्त हुई है। इस राशि का उपयोग सड़क निर्माण और बिजली व्यवस्था पर विशेष रूप से किया गया है।

प्रदेश में खनिजों के विधिवत भण्डारण की अनुमति देने और अवैध भण्डारण पर कड़ाई से रोकथाम के लिये वर्ष 2006 में मध्यप्रदेश खनिज अवैध उत्खनन, परिवहन तथा भण्डारण का नियम बनाया गया है। इसके पहले प्रदेश में इस संबंध में कोई नियम नहीं था। इस नियम के बन जाने से खनिजों का भण्डार कर व्यापार करने से राज्य में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए हैं।

खनिज साधन विभाग ने प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना को लागू करने के लिये जुलाई-2016 में मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान न्यास नियम तैयार किया है। नियम में केन्द्र सरकार के निर्देश पर डीएमएफ की राशि की वसूली की कार्यवाही की गयी है। इसका यह परिणाम हुआ है कि सितम्बर-2016 तक की स्थिति में 480 करोड़ का राजस्व हासिल हुआ है। इस राशि का उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता से किया गया है।

मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम-1996 में अब यह प्रावधान किया गया है कि गौण खनिजों से प्राप्त रॉयल्टी प्रदेश की जिला पंचायतों और जनपद पंचायतों को विकास-निर्माण कार्यों के लिये उपलब्ध करवायी जा रही है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश