Posted on 03 Feb, 2017 3:19 pm

 

भोपाल : शुक्रवार, फरवरी 3, 2017, 14:38 IST

 

नमामि देवि नर्मदे सेवा यात्रा में अमरंकटक से ही साधु-संतों की टोली साथ चल रही है। जैसे ही खण्डवा जिले के ग्राम गुराड़िया में यात्रा पहॅंची ग्रामवासियों द्वारा तिलक लगाकर ढोल-नगाड़ों के साथ यात्रा का अभिनंदन किया गया। यात्रा में आये साधु-संत ढोल-नगाड़ों की थाप पर मगन हो नर्मदा स्तुति करते हुए नृत्य करने लगे। माँ नर्मदा के जल में स्नान के समय में साबुन आदि का उपयोग न करने एवं मैया के जल में वस्त्र न धोने का संदेष ग्रामवासियों को दे रहे थे ।

अनूपपूर के ग्राम सालरगोरी से यात्रा में साथ चल रही सुकली बाई यात्रा के दौरान जिलों में होने वाले स्वागत से अभिभूत है। वे मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहती हैं कि साल में एक बार ऐसी यात्रा अवश्य होनी चाहिए। वहीं ग्राम भमोरी तहसील बागली जिला देवास से पधारे यात्रा प्रभारी आत्माराम घीसाजी आनंदित होकर कहते हैं कि सभी जिलों में व्यवस्थाएँ उत्तम हैं पर खण्डवा जिले की बात निराली है। यहाँ तो एक नम्बर व्यवस्था है।

 डिंडोरी जिले से यात्रा में आये संत खेमचंद महाराज कहते हैं कि नर्मदा माई निर्मल और सतत बहती रहे इसके लिए मुख्यमंत्री जी का प्रयास सराहनीय है। ग्रामवासियों का उत्साह भी देखते ही बनता है। यात्रा में होशंगाबाद से 85 वर्ष की वृद्धा भूरिया बाई दोनों हाथ ऊपर कर 'नर्मदे हर' का जयकारा लगाते हुए कहती है कि मेरा जन्म सफल हो गया जो इस नर्मदा यात्रा में आने का सौभाग्य मिला। इसी प्रकार डिंडोरी के साधु माँगीलाल जी आनंद विभोर होकर कहते हैं माई के तट पर पौधों को रोपित होते देखना वह भी इतनी अधिक मात्रा में, ऐसे सुखद क्षण के हम साक्षी बने हैं।

   यात्रा में अमरकंटक से साथ चल रही साध्वी योग माया दीदी ने अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य पावन है माँ नर्मदा को सुरक्षित करना और उसके जल को प्रदूषित होने से बचाना  हमारी प्राथमिकता है। साथ ही हरियाली को बढ़ावा देने के लिये वृक्षारोपण की अवधारणा भी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मैं धन्यवाद देती हूँ प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को उन्होंने इस दिशा में पहल कर लोगों को जागरूक किया है। आज यह यात्रा मात्र यात्रा न रहकर जन-आंदोलन का व्यापक रूप धारण कर चुकी है। इतने जिलों से यात्रा गुजरी है पर कहीं भी प्लास्टिक के दोने-पत्तल नजर नहीं आए। साथ ही माँ नर्मदा की आरती के लिये दीपक भी मिट्टी के उपयोग किए गए हैं। इससे एक उत्तम संदेश प्रदेश ही नहीं बल्कि देश वासियों को जा रहा है।

इसी प्रकार डिंडोरी के मलथु, अनूपपुर के हर्राटोला के भगलु, जरा सुरंग उमरिया की शोभा बाई आदि सभी आनंदित होकर मंजीरे बजाते हुए नाच रहे हैं और माँ नर्मदा को प्रदूषण से बचाने और उसके जल को संरक्षित करने का संदेश दे रहे हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश