Posted on 09 Sep, 2018 8:26 pm

 

महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा है किकृष्ण और कंस की लड़ाई पोषण से जुड़ी थी। कृष्ण चाहते थे कि मथुरा का दूध और उससे बने अन्य पदार्थों का उपयोग पहले बच्चों के लिये हो, इसके बाद किसी और को दिया जाये। जबकि कंस इस पर अपना नियंत्रण चाहता था। यह मूलत: पोषक खाद्य सामग्री का द्वदं था। श्रीमती चिटनिस राष्ट्रीय पोषण माह के तहत बुरहानपुर के होटल उत्सव में खंडवा और बुरहानपुर के मीडिया कर्मियों के लिये आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन व्यापक स्तर पर हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान का संकल्प है कि प्रदेश को कुपोषण मुक्त किया जाये और विभाग इस दिशा में गंभीर प्रयास कर रहा है। पोषण माह पर केन्द्र को भेजी जानी वाली रिपोर्ट में मध्यप्रदेश अभी तक सबसे आगे है।

महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने कहा कि पोषण का संबंध गरीबी-अमीरी से नहीं है, आवश्यकता पोषण के प्रति जन-जागरूकता की है। मोटे अनाज, हरी सब्जियां, चटनी आदि बहुत सस्ते होते हैं लेकिन इनमें अधिक पौष्टिक तत्व हैं। कार्यशाला में दिल्ली से आये वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश बादल, श्री अजय सेतिया, बंसल न्यूज भोपाल के रीजनल हैड श्री शरद द्विवेदी, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन विभाग की प्रमुख प्रो. आशा शुक्ला, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर की डॉ. सोनाली नरगुन्दे, भोपाल के श्री मनोज कुमार, श्री प्रेम पगारे तथा यूनीसेफ की सुश्री पुष्पा अवस्थी ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।

श्री राजेश बादल ने आंचलिक पत्रकारों से अपेक्षाएँ और उनकी कठिनाइयों, श्री अजय सेतिया ने बाल अधिकारों, श्री शरद द्विवेदी ने सोशल और इलेक्ट्रानिक मीडिया की चुनौतियों पर वक्तव्य दिया। प्रो. आशा शुक्ला नेमहिला सुरक्षा, सुश्री पूजा अवस्थी ने महिलाओं व बच्चों में पोषण की स्थिति, डॉ. नरगुन्दे ने सोशल मीडिया को रचनात्मकता से जोड़ने तथा श्री मनोज कुमार व श्री प्रेम पगारे ने विकास पत्रकारिता के संबंध में मीडिया कर्मियों से बातचीत की।

न्यूट्री लंच और पोषण शपथ के साथ सम्पन्न हुई कार्यशाला

महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने कार्यशाला में शामिल सभी मीडिया कर्मियों को पोषण जागरूकता के विस्तार की शपथ दिलाई। कार्यशाला में परोसे गये स्वल्पाहार और दोपहर के भोजन में पौष्टिकता का विशेष ध्यान रखा गया। स्थानीय स्तर पर सहज रूप से उपलब्ध किफायती व पौष्टिक फल-सब्जियों, मोटे अनाज से निर्मित व्यंजन परोसकर यह संदेश देने की कोशिश की गई की खान-पान में थोड़े से बदलाव से पोषण की कमी को हर स्तर पर दूर किया जा सकता है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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