Posted on 01 May, 2018 5:36 pm

 

प्रदेश में किसान अब कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये अपने खेतों में कृषि यंत्रों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। इन्दौर जिले के किसान इस मामले में बहुत आगे है। । कृषि विभाग का मैदानी अमला भी इन किसानों को कृषि यंत्रों के उपयोग की तकनीकी जानकारी देने में विशेष रूचि ले रहा है।

इन्दौर जिले के ग्राम मिर्जापुर के किसान सीताराम परम्परागत रूप से खेती करते आ रहे थे। वे बताते हैं कि रबी और खरीफ सीजन में खेत को बोवनी के लिये तैयार करने के लिये काफी मेहनत करनी पड़ती थी, समय भी ज्यादा लगता था। पहले वे फसलों में अवशेष ठूंठ आदि को हल से उखाड़ कर खेत के बाहर जला दिया करते थे, लेकिन अब रोटावेटर से फसलों के अवशेष ठूंठ को मिट्टी में मिला देते हैं। इससे ठूंठ खाद में परिवर्तित हो जाते हैं। रोटावेटर का उपयोग करने से बोवनी के लिये उपयुक्त गहराई में खेत तैयार हो जाता है। रोटावेटर जीवाष्म खाद और नमी संरक्षण के लिये टिकाऊ कृषि यंत्र के रूप में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। इसके उपयोग से कृषि उत्पादन भी बढ़ा है। वे बताते हैं कि उन्हें रोटावेटर खरीदने के लिये 30 हजार रूपये अनुदान भी मिला है। रोटावेटर किराये पर देने से अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है। 

ग्राम बिहाड़िया के किसान धनसिंह बुआई के वक्त बैलों द्वारा हस्तचलित हल का उपयोग करते थे। उन्हें बुआई करने में चार से पाँच दिन लगते थे। कई बार बुआई करते-करते पलेवा सूख जाता था और समय के साथ-साथ उन्हें कृषि मजदूरों की भी आवश्यकता पड़ती थी। किसान धनसिंह को ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से राष्ट्रीय खाद सुरक्षा मिशन की जानकारी मिली। उन्हें सीडड्रिल खरीदने के लिये 15 हजार रूपये अनुदान भी मिला। अब वे ट्रेक्टर चलित सीडड्रिल से एक दिन में ही बोवनी कर लेते हैं। इससे समय और धन दोनों की बचत हुई है। अब आस-पास के गाँवों में उनकी पहचान सक्षम किसान के रूप में हो गयी है। 

जिले के ग्राम तिल्लौरखुर्द के किसान रामचन्द्र के पास दो खेत हैं। एक खेत में तो कुआँ है और दूसरे खेत में कुआँ न होने की वजह से सिंचाई की हमेशा कमी बनी रहती थी। उन्होंने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से चर्चा की, तो उन्हें बताया गया कि अनुदान पर स्प्रिंकलर मिल सकता है। रामचन्द्र को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर स्प्रिंकलर मिला। अब दोनों खेत में स्प्रिंकलर से सिंचाई कर गेहूँ, चना और सब्जी की फसल ले रहे हैं। किसान रामचन्द्र बताते हैं कि यदि किसान जागरूक रहकर राज्य सरकार की कृषि योजनाओं का लाभ लें, तो खेती को आसानी से लाभ का धंधा बनाया जा सकता है।

 सक्सेस स्टोरी (इन्दौर) 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश