Posted on 25 May, 2016 8:30 pm

कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीना की अध्यक्षता में भोपाल-नर्मदापुरम् संभाग में रबी वर्ष 2015-16 के कार्यक्रम की समीक्षा एवं खरीफ वर्ष 2016-17 के प्रस्तावित कार्यक्रम निर्धारण पर चर्चा की गई।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने सभी कलेक्टर, संभागीय एवं जिले के कृषि, सहकारिता, कृषि अभियांत्रिकी, बीज निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कृषकों की आय को दोगुना करने के लिए रणनीति बनाए। अमानक स्तर के खाद, बीज, दवा विक्रेता के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करवाए। कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अन्‍तरवर्तीय फसलों की बोनी के लिए प्रेरित करें। उत्पादन का सही आंकलन करने के लिए फसल कटाई प्रयोग करवाए। हर योजना का पंचवर्षीय कार्यक्रम बनाकर उस पर अमल प्रारंभ करें।

श्री मीना ने कहा कि फसल बीमा योजना के प्रीमियम की राशि निर्धारित तारीख तक आवश्यक रूप से जमा करायें। किसी प्रकार का नुकसान होने पर 72 घंटे में क्षति का आकलन कर संबंधित कृषक को एसएमस के माध्यम से सूचना दे। कृषि योजनाओं के प्रचार-प्रसार में संचार माध्यमों का अधिक उपयोग करें। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीना ने कहा कि सभी कलेक्टर खाद का अग्रिम उठाव किया जाये। ऋणी किसानों से ऋण जमा कराए ताकि वे मुख्मयंत्री सहकारी अनुदान योजना का लाभ ले सके। उन्होंने कलेक्टर्स से जिलेवार बोनी और अन्य गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने भोपाल एवं नर्मदापुरम् संभाग में पशुपालन, डेयरी, मछली-पालन और उद्यानिकी क्षेत्र में किये गये कार्यों और शासन द्वारा संचालित जन-कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि ग्रामोदय से भारत उदय अभियान में आयोजित ग्राम संसद में योजनाओं की जानकारी किसानों को दें। दोनों संभाग में डेयरी व्यवसाय की अपार संभावनाएँ हैं। छोटे, लघु एवं सीमांत कृषक डेयरी व्यवसाय अपनाकर आत्म-निर्भर बन सकते हैं। जिन किसानों के पास निजी सिंचाई के स्रोत उपलब्ध हैं, उनके प्रकरण तैयार किये जाकर फलदार पौधे लगवायें।

प्रमुख सचिव कृषक कल्याण और कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा ने कहा कि फसल बीमा योजना की क्षतिपूर्ति, सिंचित और असिंचित फसलें अधिसूचित क्षेत्र में लागू होगी। अग्रणी किसान के लिए भू-अधिकार पुस्तिका, सक्षम अधिकारी द्वारा बोनी का प्रमाण-पत्र, पूर्णत: भरा हुआ घोषणा-पत्र, पहचान-पत्र होना आवश्यक है। किसान का जन-धन योजना में खाता खुला होना चाहिए। इसमें हर जिले से 50 हजार किसानों को जोड़ना होगा। डॉ. राजौरा ने कहा कि जितना फसल को नुकसान होगा उतनी दावा राशि बढ़ती जायेगी। यदि 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है तो ऐसी स्थिति में कलेक्टर एक कमेटी बनाकर मूल्यांकन कराकर 25 प्रतिशत राहत राशि तुरंत प्रदान करेंगे। ओला प्रभावित क्षेत्रों में 72 घंटे में जानकारी एकत्रित कर 10 दिन में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत होगी।

डॉ. राजौरा ने कहा कि आगामी खरीफ सीजन में अंतरवर्तीय फसलें जैसे अरहर-मक्का, सोयाबीन-मक्का, मूँग-उड़द, सोयाबीन, धान आदि की बोनी कर फसल चक्र अपनाए। इससे खरीफ में उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी, उत्पादकता बढ़ेगी तो किसान की आय में बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उद्यानिकी के साथ-साथ 'कृषि वानिकी योजना' स्वीकृत होने जा रही है।

संचालक कृषि अभियांत्रिकी श्री राजीव चौधरी ने कहा कि उन्नत खेती के लिए आनलाइन कृषि यंत्रों का पंजीयन किया जा रहा है। किसानों को कृषि यंत्रों पर मिलने वाले अनुदान का नगद भुगतान नहीं किया जायेगा। बीज निगम के प्रबंध संचालक ने बताया कि किसानों के लिए खरीफ बोनी के लिए 9560 और जेएस-335 बीज उपलब्ध है। नेशनल सीड कारर्पोरेशन के पास आरसीबी 9752, एनआरसी-37 बीज उपलब्ध है।

आयुक्त सहकारिता ने कहा कि कृषक खाद का अग्रिम उठाव करें। बैठक में प्रबंध संचालक बीज संघ ने संभाग में बीज उपलब्धता की जानकारी दी। बैठक में संभागायुक्त श्री एस.वी. सिंह, प्रमुख सचिव पशुपालन श्री अरुण तिवारी, प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, पंजीयक सहकारिता श्री मनीष श्रीवास्तव, संचालक कृषि श्री मोहनलाल, संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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