Posted on 08 Sep, 2018 3:17 pm

 

आगर-मालवा जिले के कानड़ गाँव के किसान रूपेश राठौर ने अपनी मेहनत और सूझबूझ से मक्के की खेती से दोगुना लाभ कमाया है। रूपेश पहले पुराने तरीके से खेती किया करते थे। जब से जैविक खेती शुरू की है, तब से अपने खेत में जैविक तरीके से ही सोयाबीन, मक्का, अरहर और अन्य फसलों की खेती कर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर दोगुना लाभ कमा रहे हैं।

किसान रूपेश राठौर ने अपने खेत में 3 एकड़ में मक्का की बोनी की। इसमें से एक एकड़ में लगे हरे मक्के के भुट्टे को तुड़वाकर उन्हें 400 रुपये प्रति कट्टे के भाव से कुल 140 कट्टे सब्जी मण्डी में बेचे। उन्हें केवल 70 दिन में ही एक एकड़ से करीब 56 हजार रुपये की आमदनी हुई। अभी 2 एकड़ में लगी मक्का को बेचना बाकी है, जो करीब पककर तैयार हो गई है।

कृषि विभाग की आत्मा योजना से किसान रूपेश को भरपूर लाभ मिला है। उन्हें प्रशिक्षण के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने नई-नई तकनीक और विभागीय योजनाओं की जानकारी दी है। इससे ही प्रेरित होकर उन्होंने जैविक खाद बनाने के लिये अभिनव प्रयोग भी किया है। जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र गाजियाबाद से बायोडीकम्पोजर के वैक्टीरिया खरीदकर लाये। वैक्टीरिया से उन्होंने जैविक खाद और जैविक दवाई बनाई। किसान रूपेश खेती के साथ-साथ पशुपालन भी कर रहे हैं। उनके पास 9 दुधारू पशु हैं। पशुओं के गौमूत्र और गोबर से खाद बना कर किसान रोशन अपने खेती में इसका उपयोग कर रहे हैं। साथ ही, 800 रुपये क्विंटल के भाव पर गोबर खाद अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को बेचकर मुनाफा भी कमा रहे हैं।


सक्सेस स्टोरी (आगर-मालवा)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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