Posted on 28 Jul, 2018 7:42 pm

 

प्रदेश में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के मकसद से राज्य सरकार उन्हें परम्परागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों और कृषि से जुड़ी सहायक गतिविधियों के लिये प्रोत्साहित कर रही है। खण्डवा जिले के किसान राजपाल सिंह ने इसी क्रम में तरबूज की उद्यानिकी फसल को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।

ग्राम केहलारी के किसान राजपाल सिंह वर्षों से सोयाबीन और कपास की परम्परागत खेती करते आ रहे थे। खेती में सीमित रह गई आमदनी उनके लिये चिंता का विषय बन गई थी। परम्परागत फसलों से उन्हें एक फसल में केवल 30 से 40 हजार रूपये का ही मुनाफा हो पाता था। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से चर्चा की, तो उन्हें मल्चिंग पद्धति से तरबूज की खेती करने का आईडिया मिला।

किसान राजपाल सिंह ने उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले के मार्गदर्शन में सागर किंग किस्म का तरबूज अपने खेत में लगाया। इसके लिये उन्होंने मल्चिंग पद्धति अपनाई। तरबूज फसल लेने में 71 हजार रूपये खर्च हुए। खेत से मिला 450 क्विंटल तरबूज। इसे बेचने पर उसने करीब 3 लाख 15 हजार रूपये कमाये। राजपाल बताते हैं कि कुल आय में से 71 हजार रूपये घटाने पर उन्हें 2 लाख 40 हजार रूपये का मुनाफा हुआ।

कृषक राजपाल सिंह ने तरबूज की खेती में पहली बार में ही अच्छा-खासा मुनाफा देखकर दूसरी बार भी तरबूज लगाने का फैसला किया। इस बार उसे डेढ़ सौ क्विंटल तरबूज बेचने पर एक लाख 27 हजार रूपये का मुनाफा हुआ। इस बार की लागत सिर्फ 34 हजार 500 रूपये थी। इस तरह राजपाल ने 93 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा कमाया। राजपाल को मात्र डेढ़ एकड़ में दो बार तरबूज की फसल से केवल 4 माह में 3 लाख 37 हजार रूपये का मुनाफा हुआ।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश