Posted on 06 Jul, 2018 6:17 pm

कुपोषण से मुक्ति के अभियान में मुनगा (सुरजना) के उपयोगी होने पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से आँगनवाड़ी केन्द्रों में मुनगा के पौधे लगाये जा रहे है। पौधों को लगाने के लिये और मुनगा के फल-फूल को पोषण आहार में शामिल करने के लिये आँगनवाड़ी कार्यकताओं और अभिभावकों को प्रशिक्षण देने की पहल की गयी है।

सिवनी जिले में अभियान के तहत प्रत्येक कुपोषित बच्चों वाले परिवार और आँगनवाड़ी केन्द्रों में मुनगा पौध-रोपण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जबलपुर जिले में मुनगा से सुपोषण अभियान में अधिकारियों को मुनगा पौध-रोपण के लिये प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुनगा के बीज किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा तैयार कर आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उपलब्ध करवाये जा रहे है।

बड़वानी जिले में मुनगा की किस्म पीकेएम 1 के अच्छी गुणवत्ता के पौधे कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा विक्रय के लिये उपलब्ध करवाये जा रहे है। बालाघाटजिले में पंचायत एवं ग्रामीण विभाग द्वारा आँगनवाड़ी केन्द्र में मुनगा के पौधे लगाये जाने में सहयोग दिया जा रहा है।

मुनगा (सुरजना) एक औषधी और पोषक तत्वों से भरपूर पौधा है। मुनगा की फल और फूल पोषण-आहार में शामिल करने से पोषक तत्वों की शरीर में होने वाली कमी दूर होती है। मुनगा के फल-फूल को पोषण आहार में लेने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों पर भी नियंत्रण होता है। ग्रामीण क्षेत्र में मुनगा के पौधे के जड़, पत्ती, छाल और फल-फूल को अनेक बीमारियों में औषधि के तौर पर भी उपयोग में लिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में आँगनवाड़ी केन्द्रों में पर्याप्त स्थान और आसानी से मुनगा के पौधो को लगाने की सुविधा होती है। मुनगा का पौधा बारहमासी होता है। नगरीय क्षेत्र में भी आँगनवाड़ी में जहां स्थान उपलब्ध वहां पर मुनगा के पौधे को लगाया जा रहा है। मुनगा का पौधा सिर्फ आँगनवाड़ी केन्द्र में ही नहीं बल्कि ऐसे अभिभावकों, जिनके यहाँ कुपोषित बच्चे हैं, वहाँ पर भी लगवाया जा रहा है। कुपोषण से मुक्ति के अभियान में मुनगा एक महत्वपूर्ण और कारगर पोषण आहार देने वाला पौधा है। इसकों अपनाकर अनेक जिलों में पोषण-आहार से मुक्ति की दिशा में पहल की जा रही है।

सक्सेस स्टोरी (सिवनी, जबलपुर, बड़वानी, बालाघाट)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश